हेलो दोस्तों, मै श्वेता आप सभी का मेरे वेबसाइट में स्वागत है। आज हम एक ऐसे अजब गजब ये रहस्यमय फूल के बारे में बात करेंगे जो भगवान को नहीं चढ़या जाता है, पर दिखता शिवलिंग पर बैठे नाग सर्प की तरह है।
भगवान शिव को जंगल में पाए जाने वाले जहरीले फल और फूल समपिर्त किये जाते है। जिसमे मदार, धतूरा, भांग जैसे चीजे शामिल है। एक फूल ऐसा भी है, जो हूबहू शिवलिंग पर फन फैलाए बैठे नागदेव की तरह दिखाई देता है, बावजूद इसके कोई भी इस सुंदर से दिखने वाले फूल को शिवलिंग पर समर्पित नहीं करता है. इसके पीछे एक खास वजह है, जानना चाहेंगे आप?
परिचय
भारत एक रहस्यमय और अनोखे देश के रूप में जाना जाता है, जहां प्राचीनता और प्राकृतिक सौंदर्य एक साथ अपनी अनूठी कहानी सुनाते हैं। हमारे देश में कई ऐसे अद्भुत स्थान हैं, जो रहस्यमय और आकर्षक होते हैं। नागलिंग फूल या कैननबॉल ट्री भी उनमें से एक है, जो शिवलिंग पर बैठे नाग सर्प की तरह दिखता है। यह अजब गजब और रहस्यमय प्राकृतिक खूबसूरती का संगम है जिसे देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
विचार और रहस्य
नागलिंग फूल या कैननबॉल ट्री एक अनोखा पेड़ है जो वृक्ष नहीं होता है, बल्कि यह एक बड़ा फूल होता है जो नागलिंग फूल नामक पौधे पर उगता है। यह पौधा अपनी अनूठी शक्ल के लिए विख्यात है, जो एक नाग सर्प की तरह दिखता है जो शिवलिंग पर बैठा हुआ होता है। इसके कारण इसे “नागलिंग फूल” के नाम से भी जाना जाता है।

आध्यात्मिक महत्व
नागलिंग फूल को आध्यात्मिक महत्व दिया जाता है, और इसे धार्मिक आयोजनों में भी शामिल किया जाता है। इसे शिवलिंग के पास उगाने की प्रथा ख़ासकर सावन महीने में की जाती है, क्योंकि इस महीने में भगवान शिव की पूजा का खास महत्व होता है। लोग विशेष धूप, दीपक, और पुष्पों के साथ नागलिंग फूल को पूजते हैं और इसे भगवान शिव के प्रतीक के रूप में स्वीकार करते हैं।
अद्भुत अनुभव
नागलिंग फूल को देखने का अनुभव अद्भुत और रोमांचक होता है। इसे देखकर लोगों को अनूठे प्राकृतिक रूप से जुड़े होने का अहसास होता है, और यह धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान भी उन्हें आत्मानुभूति का अनुभव कराता है। वैज्ञानिक भी इस रहस्यमय फूल के बारे में अध्ययन कर रहे हैं ताकि इसके पीछे के विज्ञान का पता लगा सकें।

दोस्तों इस फूल को आपने अगर कोई पुराने शिव मंदिर देखे होंगे, तो वहां पर कहीं न कहीं नागलिंग का पेड़ ज़रूर देखा होगा. इस पेड़ में लगने वाले फूलों की खासियत ये होती है कि ये बिल्कुल शिवलिंग पर फन फैलाए हुए सांप की तरह दिखाई देते हैं. दिखने में बेहद खूबसूरत ये फूल देखकर आप ज़रूर आकर्षित हो जाएंगे क्योंकि इसमें सुंदर रंग भरे होते हैं.
नागलिंग फूल के बारे में चिंता
जैसा कि नागलिंग फूल विशेष रूप से धार्मिक आयोजनों में उगाया जाता है, इसकी चिंता है कि लोग इसे नष्ट न कर दें या नागलिंग फूल के प्राकृतिक विकास को कमजोर न करें। इसे संरक्षित रखने के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस अद्भुत प्राकृतिक संगम का आनंद ले सकें।

दोस्तों इस फूल को अंग्रेज़ी में कैननबॉल ट्री कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम कौरौपीटा गियानेंसिस (Couroupita guianensis) है. इनके फल कैननबॉल की तरह होते हैं और इन्हें इंसान तो नहीं लेकिन चमगादड़ काफी पसंद करते हैं. ये पेड़ ज़रूर महादेव से जुड़ा है लेकिन इसकी उत्पत्ति दक्षिण अमेरिका में हुई थी।

दोस्तों इस पेड़ की ऊंचाई 3 मीटर होती है और इसकी पत्तियां गुच्छों में होती हैं. इसके फूल गुच्छों में खिलते हैं और जब तक कुंड फूलों से ढंक न जाए, तब तक फूल लगते रहते हैं. दिलचस्प बात ये है कि एक पेड़ में 1000 से ज्यादा फूल एक ही दिन में खिल सकते हैं. जिनका रंग गुलाबी, बैंगनी, सफेद और पीला होता है।
हालांकि इन फूलों में पराग कम होता है, लेकिन कीट-पतंगे इस पर आकर बैठते ज़रूर हैं. पेड़ की खासियत ये भी है कि इसकी सारी पत्तियां गिर जाती है और फिर 7 दिन के अंदर पूरी तरह से आ जाती हैं. ये क्लोरीन के संपर्क में आकर खत्म हो जाता है लेकिन 24 घंटे में ही फिर रिवाइव हो जाता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि फूल की इतनी खासियत है, फिर भी ये आखिर शंकर जी की तरह होने पर भी उनके मंदिर में क्यों नहीं ले जाया जाता. दरअसल इस फूल का दुर्गुण ये है कि इसमें से खुशबू नहीं तेज़ बदबू आती है. रात भर ये बदबू तेज़ होती है और सुबह भी उठने लगती है. यही वजह है कि इसे तोड़ना या इस्तेमाल में लेना कोई पसंद नहीं करता।
समापन
नागलिंग फूल या कैननबॉल ट्री एक अजब और रहस्यमय प्राकृतिक खजाना है, जो भारत की संपदा में से एक है। इसके विचार और आकर्षक रूप से जुड़े होने से लोग इसे विशेष रूप से महत्वपूर्ण समझते हैं। इसे धार्मिक आयोजनों में शामिल करके लोग नागलिंग फूल की पूजा करते हैं और इसे आध्यात्मिक अनुभव का संदेश देते हैं। इसे संरक्षित रखने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि हम इसे आने वाली पीढ़ियों को भी देखने का आनंद ले सकें।
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