BHAI DOOJ KI KAHANI IN HINDI

By Shweta Soni

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हेलो फ्रेंड्स,

मेरा नाम श्वेता है ,आज मै हमारे लेख में भाई दूज की कहानी की कहानी लेके आई हु। ये ऐसा तेहोहार है जो हम बहेनो को गिफ्ट्स के साथ साथ भाइयो का प्यार भी मिलता है।

भाई दूज क्यों बनाया जाता है ?

भाई दूज का त्योहार आर्थिक महत्व भी रखता है। त्योहार उपहारों और मिठाइयों के आदान-प्रदान का एक अवसर है, और बाजार विभिन्न भाई दूज उपहार वस्तुओं से भरा पड़ा है। त्योहार छोटे व्यवसायों, व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

यह त्योहार दो दिनों के बाद दीवाली के अगले दिन मनाया जाता है। भाई दूज का अर्थ है भाई का दूजा दिन। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है।

भाई दूज का त्योहार न केवल भारत में बल्कि नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों में भी मनाया जाता है, जहां हिंदू समुदाय निवास करते हैं। नेपाल में, भाई दूज को “भाई टीका” के रूप में जाना जाता है और इसे बहुत धूमधाम और शो के साथ मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों के लिए भोज तैयार करती हैं और उनके माथे पर तिलक लगाती हैं, और बदले में भाई अपनी बहनों को सभी बुराइयों से बचाने का वचन देते हैं।

भाई दूज का त्योहार लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देता है। यह लिंग की परवाह किए बिना भाई-बहनों के बीच बंधन का उत्सव है। बहनों को, भाइयों की तरह, अपने सपनों और महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, और भाइयों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी बहनों को उनके प्रयासों में समर्थन और प्रोत्साहन दें।

BHAI DOOJ KI KAHANI IN HINDI
BHAI DOOJ KI KAHANI IN HINDI

भाई दूज की कहानी निम्नलिखित है।

कहानी एक छोटी सी गांव में एक बहन राधा और उसके छोटे भाई श्याम के बीच की है। श्याम अपनी बहन से बहुत प्यार करता था। वह उसे अपनी माँ और पिता से अधिक अपना मानता था। राधा भी अपने भाई से बहुत प्यार करती थी और हमेशा उसे सुरक्षित रखना चाहती थी।

एक दिन श्याम खेत में खेलते हुए एक गड्ढे में गिर गया। वहां से उसे निकालने की कोशिश करने के बाद उसने रोने लगा और उसकी बहन राधा ने उसे समझाया कि वह उसकी मदद करेगी। राधा ने श्याम को गड्ढे से बाहर निकाला और उसे साफ सफाई की आवश्यकता होने पर भी उसे बचाने का वादा किया।

जब श्याम बड़ा हो गया तो उसने एक दुकान खोली और अपनी बहन की मदद करने लगा। वह उसकी खुशी के कारण हर तरह से मदद करता था। राधा भी अपने भाई के प्रति अपना प्यार और लालच जाहिर करती थी।

एक दिन भाई दूज के दिन, राधा ने श्याम के लिए भोजन तैयार किया और उसके दुकान पर जाकर उसे खिलाया। उसके बाद वह उसे राखी बाँधने के लिए बुलायी। श्याम ने खुशी से अपनी बहन की राखी पहनी और उसे उपहार दिया। राधा ने भी उसे धन्यवाद दिया और उसे उपहार दिया।

इस प्रकार दोनों भाई और बहन का प्यार और आपसी समझ देखते हुए लोगों ने भाई दूज मनाने का प्रचलन बनाया। इस त्योहार में बहनें अपने भाई के लिए राखी बाँधती हैं और उन्हें उपहार देती हैं। इसके अलावा, भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी खुशी में उन्हें बधाई देते हैं। यह त्योहार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की दूज को मनाया जाता है।

भाई दूज के त्योहार को मनाने के लिए लोग अपने भाई या बहन को उपहार देते हैं। यह उपहार आमतौर पर खाद्य सामग्री, सौंदर्य उत्पादों, बुटीक वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, खिलौनों और किसी भी अन्य उपहार सामग्री में शामिल हो सकते हैं।इस त्योहार का महत्व हमारी संस्कृति में अत्यधिक होता है। यह त्योहार भाई और बहन के प्यार और आपसी समझ को दर्शाता है।

इससे हमारे समाज में एकता और सौहार्द की भावना का विस्तार होता है।इस प्रकार, भाई दूज भाई और बहन के आपसी समझ, प्रेम और आदर का प्रतीक है। इस त्योहार को मनाकर हम अपने भाई और बहन के साथ अपने प्यार और सम्मान का अनुभव करते हैं। इस त्योहार के महत्व को आज भी हमारे समाज में उन्नत रखना चाहिए।

कैसे हुई भाई दूज पर्व की शुरुआत

भैया दूज की पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की 2 संतानें थीं, पुत्र यमराज तथा पुत्री यमुना। यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं। यमुना, यमराज को अपने घर पर आने के लिए आमंत्रित करतीं, लेकिन व्यस्तता के कारण यमराज उसके घर न जा पाते थे।

एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर अचानक से जा पहुँचे। बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कराया। बहन यमुना ने अपने भाई का बड़ा दिल से आदर-सत्कार किया। तरह-तरह के व्यंजन बनाकर उन्हें भोजन कराया और भाल पर तिलक लगाया। जब यमराज वहां से चलने लगे, तब उन्होंने यमुना से कोई भी मनोवांछित वर मांगने को कहा।

यमुना ने कहा: भैया! यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आया करेंगे। इसी प्रकार जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करे और इस दिन जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसे भोजन खिलाये, उसे आपका भय न रहे। इसी के साथ यमराज ने यमुना को ये भी वरदान दिया कि यदि इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो उन पर मेरा प्रकोप नहीं रहेगा।

यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया। कहते हैं तभी से बहन-भाई का यह त्यौहार मनाया जाने लगा। कहते हैं जो पुरुष यम द्वितीया को बहन के हाथ का खाना खाता है उसे विविध प्रकार के सुख मिलते हैं।

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