चंद्रयान-3: चाँद पर इतिहास बनेगा आज ,अलग यात्रा पर निकलेंगे प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल

By Shweta Soni

Published on:

WhatsApp Group (Join Now) Join Now
Telegram Group (Join Now) Join Now

हेलो दोस्तों,

आपसभी का स्वागत है आज भारत इतिहास बनाने जा रहा है भारत का चंद्रयान-3 आज चाँद में लैंड करने वाला है | इसरो ने बताया कि चांद की सतह के बिल्कुल करीब लाने के लिए चंद्रयान-3 को 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। इसके साथ ही चांद की कक्षा में होने वाली सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गई हैं। अब अपना चंद्रयान-3 महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुका है। प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अपनी अलग-अलग यात्राओं के लिए तैयार हैं।

परिचय

चंद्रयान-3, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चाँद पर की जाने वाली मिशन है जो इतिहास रचने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस मिशन का उद्देश्य चाँद की सतह पर अध्ययन करना और विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों को सफलतापूर्वक पूरा करना है।

चंद्रयान-3: चाँद पर इतिहास बनेगा आज

चंद्रयान-3: चाँद पर नए इतिहास की शुरुआत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 मिशन की घोषणा की है, जो चाँद पर नए इतिहास की शुरुआत करने का प्रयास है। इस मिशन का उद्देश्य विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों को सफलतापूर्वक पूरा करके चाँद की सतह पर नए ज्ञान की प्राप्ति करना है। इस मिशन की सफलता से भारत चाँद पर अपने कदम रखकर वैज्ञानिक अध्ययनों में आगे बढ़ सकता है।

चाँद के रहस्यों का पर्दाफाश

चंद्रयान-3 के माध्यम से हम चाँद के रहस्यों की खोज में आगे बढ़ सकते हैं। चाँद पर उचित अध्ययन करने से हमें ब्रह्मांड के निर्माता की रचना के बारे में और भी अधिक ज्ञान प्राप्त हो सकता है।

नए तकनीकी उत्कृष्टता की ओर

चंद्रयान-3 मिशन नई तकनीकों का भी परिचय देगा जो इसे अन्य मिशनों से अलग बनाएगा। इस मिशन में उपयोग होने वाली तकनीकियाँ भविष्य में के अनुसंधानों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।

विक्रम और प्रज्ञान क्या है

दोस्तों आप सभी को सरल भाषा में कहें तो चंद्रयान के भीतर बैठा ‘हीरो’ अब आगे का सफर अलग करेगा। इस लैंडर का नाम विक्रम है और उसके अंदर प्रज्ञान है। चांद की सतह पर लैंडर के उतरने के बाद प्रज्ञान बाहर निकलेगा। देश और दुनिया की नजरें इसपर टिकी है। 17 अगस्त को प्रॉपल्शन मॉड्यूल से लैंडर अलग होगा। इसरो की तैयारी है कि 23 अगस्त 2023 की शाम चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंड हो जाए।

चंद्रयान-3: चाँद पर इतिहास बनेगा आज

चांद तक कौन कितने समय में पहुंचा?

  • चीन ने 2010 में Chang’e 2 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया था। इसने धरती से चांद की दूरी सिर्फ चार दिन में पूरी कर ली। चीन के अगले मून मिशन Chang’e 3 ने भी यात्रा में इतना ही समय लिया।
  • चांद के पास पहुंचने के लिए सोवियत यूनियन का पहला अनमैन्ड मिशन लूना 1 सिर्फ 36 घंटों में पहुंच गया था।
  • चंद्रमा पर तीन इंसानों को ले जाने वाला अमेरिका के अपोलो-11 के कमांड मॉड्यूल- कोलंबिया ने भी चार दिन से थोड़े ज्‍यादा वक्‍त में यात्रा पूरी की थी।​

चंद्रयान-3 को चांद पर पहुंचने में इतना वक्त क्यों लगेगा?

SRO के पास इतना शक्तिशाली रॉकेट नहीं जो चंद्रयान-3 को सीधे चांद के रास्‍ते पर भेज दे। अपोलो मिशंस में ट्रांसलूनार इंजेक्‍शन (TLI) नाम की ट्रैजेक्टरी का यूज हुआ था। मतलब लॉन्च वीइकल ने पहले अपोलो स्पेसक्राफ्ट को धरती की कक्षा में पहुंचाया। फिर वहां से एक शक्तिशाली इंजन ने स्पेसक्राफ्ट को चांद के रास्‍ते पर डाला। इसके लिए छह मिनट तक रॉकेट को जलाए रखा गया और किसी गुलेल की तरह अपोलो 11 को तेजी से चांद की ओर रवाना किया गया था।

चंद्रयान-3 दूसरे रास्‍ते से जा रहा है। इसमें धरती की अलग-अलग कक्षाओं और इंजन बर्न्स का इस्तेमाल कर चंद्रयान-3 की स्पीड बढ़ाई जाएगी। चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया है। अब वक्त-वक्त पर इंजन बर्न्स किए जाएंगे ताकि चंद्रयान-3 को ऐसी ट्रैजेक्टरी पर डाला जा सके जो चांद की कक्षा से टकराती हो। फिर एक और इंजन बर्न के जरिए चंद्रयान-3 को चांद की कक्षा में छोड़ा जाएगा।

चंद्रयान-3: चाँद पर इतिहास बनेगा आज

चंद्रमा की सतह पर कब लैंड करेगा चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रोपल्शन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल हैं। भारत के तीसरे चंद्र मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा पर धीरे से उतारना है। चंद्रयान-2 मिशन विफल हो गया क्योंकि विक्रम नामक लैंडर चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसरो के मुताबिक, लैंडर के 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।

समापन

चंद्रयान-3 मिशन एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत को वैज्ञानिक अध्ययनों में आगे बढ़ने में मदद करेगा। इस मिशन के सफल होने से हम चाँद के रहस्यों के पार कदम रख सकते हैं और नए ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं। लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा।

सॉफ्ट लैंडिंग काफी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है क्योंकि इसमें रफ और फाइन ब्रेकिंग सहित कई जटिल श्रृंखला शामिल होती है। सुरक्षित और खतरा-मुक्त क्षेत्र खोजने के लिए लैंडिंग से पहले लैंडिंग साइट क्षेत्र की इमेजिंग की जाएगी। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद, छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्र सतह पर प्रयोग करेगा जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है।

READ MORE :- JAWAN MOVIE 2023 :  OFFICIAL TRAILER, STAR CAST, STORY, FULL MOVIE DOWNLOAD

HI i am Shweta Soni

Leave a Comment