EKADASHI KI KAHANI IN HINDI

By Shweta Soni

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हेलो फ्रेंड्स,

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम श्वेता है और में हमारे वेबसाइट के मदत से आप के लिए नए नए और अच्छे अच्छे कहानी लेके आती रहती हु | वैसे ही आज मै आप के लिए लेके आयी हु एकादशी का व्रत दोस्तों एकादशी का व्रत की कहानी को पढ़ के आप को बहुत ही आनंद आएगा ,तो प्लीस दोस्तों इस कहानी को पूरा जरूर पढ़े और अपने दोस्तों और परिवार वालो के पास शेयर जरूर करे धन्यवाद |

एकादशी का व्रत भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस व्रत के महत्व को समझाने के लिए, हमें एक दिवसीय कहानी को समझना जरूरी है। इस कहानी के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने अपने भक्त राजा अम्बरीष महाराज के लिए एक विशेष व्रत का प्रस्ताव किया। राजा ने इस व्रत को सम्मानपूर्वक स्वीकार कर लिया, लेकिन उनकी शत्रुता से परेशान हुए दुष्ट साधु दुर्वासा ऋषि ने उन्हें कुछ खिलौने का प्रसाद दिया जो कि उन्हें खाने से पहले अपनी पत्नी को भी खिलाने होता था।

राजा अम्बरीष ने व्रत के नियमों को तोड़कर अपनी पत्नी को भी खिलाया, जिससे दुर्वासा ऋषि ने उन पर अपना क्रोध प्रकट कर दिया। भगवान ने उन्हें दुर्वासा ऋषि से बचाया और उन्हें उनके व्रत के फल का आशीर्वाद दिया। इस व्रत का महत्व उनकी कहानी से उत्पन्न हुआ था जो अब भी हमारे जीवन में अपने महत्व को साधारण जीवन के माध्यम से बताती है।

एकादशी की कहानी

एकादशी की कहानी कई प्रकार की होती हैं। एकादशी के व्रत का महत्व मुख्यतः हिंदू धर्म में होता है। यह व्रत हमें शुद्धि, समर्थता और आत्मिक उन्नति प्रदान करता है।

एक ऐसी कहानी है कि एक बार भगवान विष्णु ने अपने भक्त राजा मंदत्र को स्वप्न में एकादशी के व्रत के बारे में बताया। उस स्वप्न में राजा मंदत्र ने एक स्वर्ण कलश में निर्मित आकाशवाणी सुनी, जो उन्हें एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताती है। राजा मंदत्र ने यह व्रत अपनाया और इससे उन्हें बहुत ही आनंद मिला। वे अपने समस्त पापों से मुक्त हो गए और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें सब कुछ मिलने लगा।

एक और कहानी में बताया गया है कि एक बार देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से पूछा कि उनके भक्तों की क्या सबसे बड़ी इच्छा होती है। भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि सबसे बड़ी इच्छा उनके भक्तों की यह होती है कि वे उनकी पूजा-अर्चना करें और एकादशी के व्रत का पालन करें |

एक बार एक ब्राह्मण ने भगवान विष्णु की पूजा की और उन्हें सभी नैवेद्य सहित अर्पित किया। लेकिन उस वक्त उसे अपनी पत्नी को भूखा सोते देखा। उसने जल्दी से उसके लिए थोड़ा सा खाना बनाकर दिया। पत्नी ने उसे पूछा कि आपने अपने देवताओं के लिए इतना सारा खाना देकर अपने व्रत का उपवास तोड़ दिया। इससे आपके पूजा-अर्चना का अर्थ कुछ नहीं रह गया।

ब्राह्मण ने अपनी त्राहिमामें बताया कि उसकी पत्नी ने उसे सही काम किया है। भगवान विष्णु ने भी उनके व्रत के पालन की सराहना की लेकिन वह उनसे एक और व्रत का पालन करने को कहते हैं, जो कि एकादशी का व्रत होता है। इसके बाद से एकादशी का व्रत बहुत लोगों ने अपनाया है और यह हमारे जीवन को शुभ बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

यह थी कुछ एकादशी की कहानियां। हमेशा याद रखें कि एकादशी का व्रत आत्मिक शुद्धि और समर्थता प्रदान करता है। एकादशी के व्रत का पालन करने से आपके मन, शरीर और आत्मा सभी शुद्ध हो जाते हैं। इसके अलावा इस व्रत से हम दृढ़ता और त्याग का संदेश भी सीखते हैं। इसलिए आप भी अपनी आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करें।

EKADASHI KI KAHANI IN HINDI
EKADASHI KI KAHANI IN HINDI

एकादशी के व्रत के दौरान आपको सातवें दिन को अगले दिन सुबह नहाना चाहिए। व्रत के दौरान सिर्फ फल, सब्जियां, दूध और दही जैसे खाद्य पदार्थ खाएं। इस दिन आपको मधुर भाव से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। आप उन्हें तुलसी जैसी पूजनीय वस्तुओं सहित विधि-विधान से पूज सकते हैं।

इस व्रत के दौरान दान-पुण्य भी करना चाहिए। आप गरीबों को भोजन और दान देकर पुण्य कमा सकते हैं। इस दिन आपको रात्रि में भजन करना चाहिए और सोते समय भगवान विष्णु के नाम का जाप करना चाहिए।

एकादशी का व्रत करने से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलाव इस व्रत की कहानी भी है जो एक बार श्रवण महीने के दिन हुई थी। कहते हैं कि एक ब्राह्मण ने एकादशी के व्रत का पालन नहीं किया था और उसे भूखा रहना पड़ा। उसे बड़ी भूख लगी थी और उसने एक लड्डू खाया था जो अनाज के साथ-साथ उन्माद लड्डू भी था। उन्माद लड्डू के खाने से वह अत्यंत क्रूर बन गया था और अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अश्लील काम करता रहता था।

इस तरह वह अपने अधर्मी जीवन का जीता जागता दृश्य बन गया था। एक दिन भगवान विष्णु ने उसे संदेश भेजा कि वह एकादशी का व्रत करे। उसने भगवान की बात मानी और एकादशी का व्रत करना शुरू किया। इस व्रत के दौरान उसका जीवन बदल गया और वह धर्मपरायण बन गया।

अतः एकादशी के व्रत का पालन करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ होता है, बल्कि शारीरिक लाभ भी होता है। एकादशी का व्रत करने से आपके शरीर में तृणांश जैसे जल्दी नहीं भरता है, जिससे आपका शरीर शुद्ध होता है और आपको बुखार, सर्दी, जुखाम जैसी बीमारियों से रक्षा मिलती है। इस व्रत का पालन करने से आपका मन भी शांत होता है और आप आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त करते हैं।

एकादशी के व्रत का अर्थ होता है एक दिन रहना भोजन नहीं करते हुए। इस दिन आपको भोजन नहीं करना चाहिए और नींद के समय भी अधिक नहीं सोना चाहिए। एकादशी के व्रत में खाने के लिए दाल, चावल, अनाज, हलवा, खीर, अदरक, प्याज, लहसुन, गाजर आदि के सेवन से बचना चाहिए। एकादशी के दिन फल, सब्जियां, मिल्क, दही, पनीर, घी, शक्कर, मक्खन आदि खा सकते हैं।

इस तरह एकादशी का व्रत करने से हम अपने जीवन को साफ और शुद्ध रख सकते हैं। यह एक साधारण व्रत नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन को धन, स्वास्थ्य और धर्म से भर देता है। इसलिए, हमें एकादशी का व्रत पालन करना चाहिए।

एक और प्रसिद्ध कहानी एकादशी के व्रत से जुड़ी है। यह कहानी भगवान विष्णु और भक्त पूंजा की है। पूंजा ने बहुत दिनों तक भगवान विष्णु का व्रत रखा था। एक दिन उसे अपनी सारी संपत्ति को धन्यवाद के रूप में भगवान विष्णु को अर्पित करना था। लेकिन उस दिन कुछ अनुचित खाने-पीने के कारण वह व्रत तोड़ने के लिए मजबूर हो गई।

जब उसने अपनी गलती समझी तो वह बहुत दुखी हुई और भगवान विष्णु को माफी मांगने के लिए गई। भगवान विष्णु ने उसे उनके भक्त होने के कारण क्षमा कर दिया। लेकिन उन्होंने पूंजा को अपने अगले जन्म में गरीबी और दुखों के साथ जन्म लेने का वचन दिया।

पूंजा ने अपने अगले जन्म में बहुत से दुखों का सामना किया और बार-बार भगवान विष्णु के नाम का जप करती रही। अंत में उसने एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु ने उसे अपने साथ स्थायी समाधि में ले लिया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत उन लोगों के लिए भी उपयोगी होता है जो नहीं चाहते कि उनके अनुचित कर्मों के कारण उन्हें भगवान के दंवंदों से जड़ा होना पड़े।

एकादशी का व्रत रखने से हमारी मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ती है और हमारी अंतरंग सामर्थ्य भी बढ़ता है। इस व्रत को रखने से अनेकों रोगों से छुटकारा मिलता है और हमारे अध्ययन और ध्यान की क्षमता भी बढ़ती है।

इसलिए, एकादशी का व्रत रखना एक अच्छा और स्वस्थ जीवन जीने का एक तरीका हो सकता है।इस कहानी से हमें यह भी समझ मिलता है कि हमारे कर्म हमें अनुभवों का फल देते हैं। अगर हम सही कर्म करेंगे तो हमें सुखी और शांत जीवन मिलेगा। लेकिन अगर हम अनुचित कर्म करेंगे तो हमें दुःख और विपत्ति का सामना करना पड़ेगा।

इस कहानी से हमें यह भी समझ मिलता है कि हमें भगवान का भक्ति और पूजन करना चाहिए। भगवान हमारे सभी दुःखों और मुसीबतों से हमेशा हमें बचाते हैं। यदि हम उनका भक्त बनेंगे तो वे हमेशा हमारी सहायता करेंगे।

इसलिए, हमें अपने जीवन में एकादशी का व्रत रखने का प्रयास करना चाहिए। यह व्रत हमें स्वस्थ और सुखी जीवन जीने में मदद करेगा और हमें भगवान के करीब ले जाएगा।

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