हेलो दोस्तों,
आप सभी का स्वागत है चाँद पर पैदल चलते हुए रोवर की पहली तस्वीर: विक्रम लैंडर से बाहर निकला रोवर | 23 अगस्त 2023, शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर भारत का सूर्योदय इस चमकते हुए मिशन चंद्रयान की लैंडिंग के साथ हुआ है. इसरो के सेंटर से आम लोगों के बीच भी तालियों की गड़गड़ाहट गूंजने लगी. इन तालियों की गड़गड़ाहट से कुछ सेकेंड पहले तक देशभर के लोगों की सांसें थमी हुई थीं. लेकिन इस बार देश के वैज्ञानिक अपनी मेहनत पर पूरी तरह से आश्वस्त थे. और वो मेहनत रंग लाई |
परिचय
आज के तकनीकी युग में विज्ञान और तकनीक ने अद्वितीय उपलब्धियों की ओर बढ़ते कदम बढ़ाए हैं। चाँद पर भेजे गए अवतारण मिशन इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो हमें चाँद से जुड़े नए और रहस्यमय तथ्यों का पता लगाने में मदद करते हैं। इसके अंतर्गत, विक्रम लैंडर से बाहर निकले रोवर की पहली तस्वीर ने वैज्ञानिकों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी है।

विक्रम लैंडर का अद्वितीय कार्य
विक्रम लैंडर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था, जिसका उद्देश्य चाँद की सतह पर अध्ययन करना और विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों को सम्पन्न करना था। इस मिशन का एक विशेष उद्देश्य था कि विक्रम लैंडर, चाँद की सतह पर पहुँचकर, एक रोवर को बाहर निकालेगा, जिससे चाँद पर नए क्षेत्रों का अन्वेषण किया जा सके।
रोवर: चाँद की सतह पर कदम रखते हुए
विक्रम लैंडर से बाहर निकला रोवर वास्तव में एक तकनीकी उत्कृष्टता की दिखाने वाली चीज़ है। इस रोवर का नामकरण “चंद्रयान रोवर” है और यह विभिन्न प्रकार के उपकरणों से लैस है जो उसे चाँद की सतह पर कदम रखते हुए मदद करते हैं।
नई दिशाएँ और अनुसंधान के अवसर
विक्रम लैंडर से बाहर निकले रोवर के पहले चित्र के साथ, वैज्ञानिकों के पास नए अनुसंधान करने के लिए अनेक नए अवसर पैदा हो रहे हैं। इसके अलावा, यह मिशन युवा वैज्ञानिकों के लिए भी एक बड़ी मंजिल साबित हो सकता है जो इस क्षेत्र में अपनी पेशेवर यात्रा की शुरुआत करना चाहते हैं।

14 दिन मून मिशन के लिए बेहद खास
चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब प्रज्ञान की चहलकदमी भी शुरू हो गई है। रोवर प्रज्ञान अब अगले 14 दिनों तक चांद की जानकारी हासिल करेगा। चंद्रमा की सतह के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करने की कोशिश इसरो की होगी। विक्रम लैंडर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर अपना काम पूरा करने के बाद अब रोवर प्रज्ञान की बारी है। इसरो ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए रोवर की तैनाती चंद्र अभियानों में नई ऊंचाइयां हासिल करेगी। लैंडर और रोवर दोनों का जीवन काल एक-एक चंद्र दिवस है जो पृथ्वी के 14 दिन के समान है।
चंद्रयान-3 के रोवर मॉड्यूल का काम
चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान का वजन केवल 26 किलोग्राम है। इसमें बिजली उत्पादन के लिए सोलर पैनल के साथ बैटरी भी शामिल है। 91.7 सेमी लंबा, 75 सेमी चौड़ा और 39.7 सेमी ऊंचा, रोवर अपने छह पहियों की मदद से चांद की सतह पर चलेगा। यह इकट्ठा की गई जानकारी लैंडर को भेजता है, तो लैंडर इसे भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क को भेजेगा। रोवर पर लगा LIBS उपकरण चांद पर मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, टाइटेनियम तत्वों का पता लगाएगा।
लैंडर रोवर से बाहर आया विक्रम, चांद पर चहलकदमी शुरू
बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान- 3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग हुई। लैंडर के चांद पर उतरने के करीब ढाई घंटे बाद रोवर बाहर आया। इसके साथ ही चांद की जमीन पर प्रज्ञान की चहलकदमी शुरू हो गई है। अब 6 पहियों वाला रोबोटिक व्हीकल प्रज्ञान रोवर अपने मिशन को अंजाम देगा। प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा वह अपने पीछे एक अमिट छाप छोड़ेगा। यह छाप इसरो के लोगो और भारत के प्रतीक से सजे पैरों के निशान होंगे।

निष्कर्ष
चंद्रयान-2 मिशन के अंतर्गत विक्रम लैंडर से बाहर निकले रोवर की पहली तस्वीर ने हमें विज्ञान की नई उपलब्धियों की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने का मौका दिलाया है। यह सफलता हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत और उनके अद्वितीय योगदान का परिणाम है जो हमें चाँद पर नए सफर की ओर बढ़ने में मदद करेगा।
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