हेलो दोस्तों ,
आज मै आप सभी भक्तो के लिए गणेश जी की कहानी लेके आई हु, आप सब गणेश जी के बारे में ज्यादा नहीं जानते होंगे तो मै आप सभी भक्तो के लिए गणेश जी की कुछ कहानिया इस लेख में मैंने लिंखी है। आप सभी भक्तो गणेश जी की कहानी जरूर पढ़ना चाहिए।
भगवान श्री गणेश की पूजा हर पूजा से पहले की जाती है। महिलाएं खासकर अपने पति की लंबी आयु के लिए भगवान श्री गणेश की पूजा जरूर करती है। ऐसी मान्यता हैं कि भगवान श्री गणेश की पूजा करने से पति की लंबी आयु होने के साथ-साथ ससुराल हमेशा खुशियों से भरा रहता हैं। वहां कोई भी दुख-दरिद्रता कभी नहीं आती हैं। तो आइए जाने सुहाग की लंबी आयु देने वाले भगवान श्री गणेश की अद्भुत कहानी।
गणेश जी हिंदू धर्म के देवताओं में से एक हैं, जो शुभारंभ, बुद्धि और भाग्य के देवता के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें विनायक, गणपति और कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। वे पूरे विश्व में लाखों लोगों द्वारा पूजे जाते हैं।गणेश जी के साथ कई कहानियां और लोककथाएं जुड़ी हुई हैं, जो उनके चरित्र और उनकी शिक्षाओं के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। इस लेख में, हम गणेश जी की जन्म कहानी, उनके कुछ अनुभवों और उनकी विभिन्न कहानियों का परिचय देंगे।
गणेश जी का जन्म
गणेश का जन्म हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव और महिला पार्वती के घर में हुआ था। जब एक दिन भगवान शिव दूर थे, तो देवी पार्वती ने गर्भवती होने का फैसला किया।
गणेश जी के साथ कई कहानियां और लोककथाएं जुड़ी हुई हैं, जो उनके चरित्र और उनकी शिक्षाओं के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। इस लेख में, हम गणेश जी की जन्म कहानी, उनके कुछ अनुभवों और उनकी विभिन्न कहानियों का परिचय देंगे।
एक बार माता पार्वती ने स्न्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसे गणेश नाम दिया। पार्वतीजी ने उस बालक को आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर न आने दे,ऐसा कहकर पार्वती जी अंदर नहाने चली गई।
जब भगवान शिव वहां आए ,तो बालक ने उन्हें अंदर आने से रोका और बोले अन्दर मेरी मां नहा रही है,आप अन्दर नहीं जा सकते। शिवजी ने गणेशजी को बहुत समझाया,कि पार्वती मेरी पत्नी है। पर गणेशजी नहीं माने तब शिवजी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गणेशजी की गर्दन अपने त्रिशूल से काट दी और अन्दर चले गये।
जब पार्वतीजी ने शिवजी को अन्दर देखा तो बोली कि आप अन्दर कैसे आ गए। मैं तो बाहर गणेश को बिठाकर आई थी। तब शिवजी ने कहा कि मैंने उसको मार दिया। तब पार्वती जी रौद्र रूप धारण कर लिया और कहा कि जब आप मेरे पुत्र को वापस जीवित करेंगे तब ही मैं यहां से चलूंगी अन्यथा नहीं। शिवजी ने पार्वती जी को मनाने की बहुत कोशिश की पर पार्वती जी नहीं मानी।
सारे देवता एकत्रित हो गए सभी ने पार्वतीजी को मनाया पर वे नहीं मानी। तब शिवजी ने विष्णु भगवान से कहा कि किसी ऐसे बच्चे का सिर लेकर आये जिसकी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। विष्णुजी ने तुरंत गरूड़ जी को आदेश दिया कि ऐसे बच्चे की खोज करके तुरंत उसकी गर्दन लाई जाए।
गरूड़ जी के बहुत खोजने पर एक हथिनी ही ऐसी मिली जो कि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरूड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गये। शिवजी ने वह सिर गणेश जी के लगाया और गणेश जी को जीव दान दिया,साथ ही यह वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी उसमें गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम होगी ।
जैसे ही गणेश बड़ा होता गया, उसे देवों के राजा इंद्र के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की भी शिक्षा मिली। उन्होंने उसे आध्यात्मिक और दुनियवी ज्ञान दोनों दिए। गणेश बहुत बुद्धिमान और वाक्यवादी था। वह हमेशा आध्यात्मिक और दुनियवी ज्ञान का संग्रह करता था।
गणेश की देवताओं में सबसे अधिक पूजा की जाने वाली देवता है। उन्हें समस्त शुभ कार्यों में शुभ फल देने की शक्ति है। वे शुभ लाभ, सुख, समृद्धि, संतान, सफलता और सम्पन्नता की वृद्धि के लिए पूजे जाते हैं।
गणेश के वाहन भी विशिष्ट हैं। वे चूहे की तरह दिखने वाले एक नाग मूषक या एक उँट की तरह दिखने वाले मूषक जैसे जानवर होते हैं। गणेश के वाहनों के रूप में ये जानवर शुभता का प्रतीक माने जाते हैं।

गणेश जी का रूप
गणेश जी का शरीर एक हाथी के समान होता है। उनके शरीर के ऊपर से आठ बाहु होते हैं, जो उन्हें सबसे अलग बनाते हैं। उनके चार बाहु देवताओं, लोगों और उनके पूजन में उपयोग में आते हैं। उनके ऊपर चोटी वाला मुख्य भाग एक गणपति विघ्नहर्ता का रूप लेता है। वे सामान्यतः लाल रंग के वस्त्र धारण करते हैं और उनके सिर पर मोती या चांदी का मुकुट होता है।
विवाह
एक दिन देवी पार्वती ने अपने पति भगवान शिव से कहा कि वह एक बेटे की इच्छा रखती हैं। भगवान शिव ने उनसे बेटे की इच्छा पूरी करने का वचन दिया और देवी पार्वती ने बचपन से ही गणेश जी को अपने पुत्र के रूप में पाला था।
एक दिन, देवी पार्वती ने गणेश जी को एक सुंदर लड़की से विवाह करने की इच्छा जताई। गणेश जी ने अपनी माँ की इच्छा को सुनते हुए विवाह के लिए तैयार हो गए।
देवी पार्वती ने एक सुंदर लड़की को चुना और गणेश जी के साथ विवाह कराया। उनकी पत्नी का नाम रिद्धि-सिद्धि था।
गणेश जी की कहानियों का महत्व
गणेश जी की कहानियां हमें न केवल उनके जीवन के बारे में बताती हैं, बल्कि यह हमें धर्म और संस्कृति से भी अधिक अवगत कराती हैं। उनकी कहानियां उस समय के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक वातावरण के बारे में भी बताती हैं।
गणेश जी की कहानी में एक ऐसी शिक्षा होती है जो हमें बताती है कि हमें विवेकपूर्वक अपने कार्यों का निर्णय लेना चाहिए। वे उस समय के लोगों के सामने एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में प्रतिष्ठित थे जो ज्ञान, बुद्धि और विवेक के देवता थे।
गणेश जी की कहानियों से हमें भावनात्मक शिक्षा भी मिलती है। उनकी कहानी में हमें उनकी मां पार्वती के प्रेम की शक्ति दिखाई देती है, जो उनकी पू
जा रक्षा की। इसके अलावा, उनकी कहानियों में जीवन के सभी पहलुओं को संतुलित रखने की शिक्षा भी होती है।
गणेश जी की कहानियां और उनके शिक्षाप्रद अस्तित्व ने हमें यह समझाया है कि अगर हम सच्ची भावनाओं के साथ काम करते हैं, तो हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने में सफलता मिलती है।
संक्षिप्त में, गणेश जी की कहानी एक ऐसी कहानी है जो हमें धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध करती है। उनके जीवन और उनकी कहानियों से हमें सबक और शिक्षा मिलती है, जो हमें जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

गणेश जी की पूजा
गणेश जी की पूजा हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा से शुभ फल प्राप्त होते हैं और वे सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करते हैं। गणेश चतुर्थी जैसी उनकी खास पूजा का त्योहार सालाना रूप से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। यह प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। इस दिन लोग गणेश जी के ध्यान में लगते हैं और उन्हें भक्ति से गाना गाते हैं।
गणेश जी के चार मंत्र
हिंदू धर्म में गणेश जी की पूजा के लिए उनके चार मंत्र होते हैं। इन मंत्रों को जाप करने से विघ्नों से मुक्ति मिलती है और सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। ये मंत्र हैं:
ॐ गं गणपतये नमः (Om Ganapatiye Namah)
श्री गणेशाय नमः (Shree Ganeshay Namah)
ॐ गणानां त्वा गणपतये नमः (Om Gananaam Tva Ganapataye Namah)
ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ (Om Vakratunda Mahakaya Suryakoti Samaprabha।
गणेश जी के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं
गणेश जी के जीवन में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं, जो आज भी लोगों के द्वारा याद की जाती हैं। कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानते हैं।
- गणेश जी की उत्पत्ति
गणेश जी की उत्पत्ति की कथा अलग-अलग होती है। एक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने गणेश जी को अपनी इच्छा से बनाया था। इस कथा के अनुसार पार्वती ने अपने साथ बहुत से देवताओं को लेकर शिव जी के पास जाकर उनसे कहा कि वह एक बेटा चाहती हैं।
शिव जी ने उसे एक से ज्यादा बेटों के जन्म के बारे में चिंता की और उन्होंने उसे बताया कि उसके बेटे निश्चित रूप से बहुत बलवान होंगे। इसलिए उन्होंने पार्वती से अनुरोध किया कि उसे एक चीज दे जो उसे दुनिया में सबसे बलवान बना सके। पार्वती ने उसे मिट्टी से बनाया जो कि उसकी आत्मा से जुड़ी थी और उसे प्राण प्रदान किया। इस प्रकार गणेश जी ने जन्म लिया।
- गणेश जी और कैलाश पर्वत
एक बार गणेश जी कैलाश पर्वत पर घूम रहे थे। उन्हें अचानक एक मूसलधार पड़ा जिससे वे बेहोश हो गए। जब वे होश में आए तो देखा कि शिव जी अपने घर पर हैं। उन्होंने गणेश जी को उस घर के बाहर से ही बाहर रख दिया जिससे कि उनकी माता पार्वती जब आयें तो उन्हें देख सकें। जब पार्वती ने इसे जाना तो वे बेहद नाराज हुईं और शिव जी से गणेश जी को वापस देने की अपील की।
शिव जी ने गणेश जी को वापस देने के लिए एक शर्त रखी थी। वह शर्त थी कि जो भी चीज पहले उन्हें मिले उसे उन्हें अपने साथ ले जाना होगा। गणेश जी ने उनकी इस शर्त को स्वीकार कर लिया और शिव जी ने उन्हें तीसरे तीर्थयात्रा के रूप में देने का फैसला किया।
- गणेश जी और मूषक
एक बार गणेश जी के पास एक मूषक था जो उनकी सदैव सेवा करता था। एक दिन मूषक ने गणेश जी को कुछ बताने के लिए अपना कान गणेश जी के पास लगाया। गणेश जी ने मूषक को आशीर्वाद देने के लिए अपने हाथ से उसे स्पर्श किया। इससे मूषक को असीमित बुद्धि मिल गई जो उसे बड़ा अनोखा बना दिया।
गणेश जी के अनुयायी आज भी उन्हें बड़ा ही सम्मान देते हैं। उनके नाम के पीछे एक शक्ति छिपी होती है जो उन्हें असंख्य संकटों से बचाती है। वे समस्त संसार की माँगों को पूरा करने में सक्षम होते हैं और उनकी आराधना से हम अपने जीवन में धैर्य, समर्पण और उत्साह का आभास प्राप्त कर सकते हैं।
इस तरह से, गणेश जी की कहानी हमें अन्याय, भ्रम और अज्ञानता से दूर रखने के साथ-साथ जीवन में सफलता के मार्ग को ढूंढने का प्रेरणा भी देती है। उनकी आराधना हमें अपने लक्ष्य की दिशा में स्थिरता और धैर्य प्रदान करती है। गणेश जी का नाम शुभ, संघर्ष और सफलता का प्रतीक है जो हमें जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर ले जाता है।
गणेश जी की कहानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन में सभी प्रकार के चुनौतियों और संकटों का सामना करना पड़ता है। हमें आशा और उम्मीद नहीं खोनी चाहिए बल्कि हमें उनके साथ साथ अपनी मेहनत, धैर्य और संकल्प के साथ लड़ना चाहिए। इसी तरह, हमें जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए बल्कि नए उत्साह के साथ अगली चुनौती का सामना करना चाहिए।
गणेश जी की कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है जो हमें जीवन में सफलता की राह दिखाती है। उनके आदर्श जीवन और उनकी समस्त गुणों से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें जीवन में सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और हमें उनके साथ लड़ना चाहिए।
आखिर में, गणेश जी की कहानी हमें उनके नाम के प्रति समर्पण और आदर के साथ उनकी पूजा करने की प्रेरणा भी देती है। हमें उनकी पूजा करने से न केवल उनके आशीर्व
वाद मिलता है बल्कि हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और समानता का भी आशीर्वाद मिलता है। इसलिए, गणेश जी की कहानी हमें एक सफल और समृद्ध जीवन की ओर ले जाती है।
इस प्रकार, गणेश जी की कहानी हमें न केवल एक दिव्य पुरुष के जीवन के बारे में बताती है बल्कि हमें उनके उपदेशों से जीवन की भावनाओं और संकल्पों को समझने का मौका भी देती है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में हमें समस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और हमें उनसे नहीं डरना चाहिए। इसके साथ हमें यह भी सिखाती है कि सफलता के लिए हमें संकल्प, मेहनत और आशा रखनी चाहिए।
इस प्रकार, गणेश जी की कहानी हमें न केवल एक दिव्य पुरुष के जीवन के बारे में बताती है बल्कि हमें उनके उपदेशों से जीवन की भावनाओं और संकल्पों को समझने का मौका भी देती है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में हमें समस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और हमें उनसे नहीं डरना चाहिए। इसके साथ हमें यह भी सिखाती है कि सफलता के लिए हमें संकल्प, मेहनत और आशा रखनी चाहिए।
इसलिए, गणेश जी की कहानी हमें यह बताती है कि हमें जीवन में सभी चीजों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जब हम सफलता प्राप्त करते हैं तो हमें खुशी और आनंद का अनुभव होता है। गणेश जी की कहानी हमें सफलता के महत्व के बारे में सिखाती है और हमें यह भी याद दिलाती है कि धैर्य, संकल्प और मेहनत से हम सफलता को हासिल कर सकते हैं।
विभिन्न रूपों में
भगवान गणेश जी के विभिन्न रूपों में भी काफी महत्व है। उन्हें वाहन मुषक वहीं प्रसिद्ध है, जो अक्सर उनके साथ चित्रित होता है। मुषक को वहन माना जाता है क्योंकि यह छोटा होता है, लेकिन दृढ़ता और स्मरणशक्ति का प्रतीक होता है। इसके अलावा, भगवान गणेश जी के अन्य रूपों में शारदा सारस्वती का रूप भी होता है, जो विद्या, ज्ञान और संगीत के देवी हैं।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश जी की कहानी से सबसे ज्यादा जुड़ा और सम्बंधित उत्सव है गणेश चतुर्थी। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा उत्सव है और समस्त भारत में मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान, लोग भगवान गणेश जी के भजन गाते हैं और उन्हें पूजते हैं।
यह उत्सव भगवान गणेश जी के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है और गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणेश जी के मूर्ति की स्थापना करते हैं। गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करने से पहले उसे विशेष तैयारी से साफ किया जाता है। उसके बाद गणेश जी को विभिन्न प्रकार के फल, मिठाई और पूजा सामग्री से पूजा जाता है। पूजा के दौरान लोग विभिन्न मंत्रों का जाप करते हैं।
गणेश जी की पूजा के बाद विधिवत रूप से उन्हें विदाई दी जाती है। इस पर्व के दौरान लोग आपस में गिफ्ट देते हैं, मिठाई खाते हैं और खुशी से मनाते हैं।गणेश चतुर्थी के दौरान गणेश जी की पूजा विशेष महत्ता रखती है। इस दिन गणेश जी सभी के कामयाबी और सुख समृद्धि की कामना करते हैं। इसलिए इस दिन की पूजा बहत ही नहीं, समस्त वर्ष में गणेश जी की पूजा बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। यह त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी के दौरान भारत के कई राज्यों में उत्साहपूर्वक गणेश जी की ताजी मूर्तियां खरीदी जाती हैं। यह दिन पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में मुंबई, पुणे, हैदराबाद, नागपुर और जयपुर जैसे शहरों में गणेश चतुर्थी विशेष रूप से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह एकता और समानता का प्रतीक होता है। इस दिन सभी लोगों के बीच एक भाव और एकता का माहौल होता है। इस दिन लोग अपने आसपास के दुखद लोगों की मदद करते हैं और अन्याय के खिलाफ लड़ते हैं। इस त्योहार के दौरान लोगों के बीच आपसी भाईचारे का माहौल बनता है।
गणेश चतुर्थी के अलावा इस दिन के और भी कुछ महत्वपूर्ण उपलक्ष्य होते हैं। इस दिन को शुभ मुहूरत माना जाता है और इस दिन का पूजन करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन शुभ कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश और भूमि पूजन भी किए जाते हैं।गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व उसके धार्मिक एवं सामाजिक संदेश के कारण भी होता है। गणेश जी दूर-दूर से लोगों को अपने आस-पास आकर्षित करते हैं। उनकी सुंदर मूर्ति के साथ-साथ उनकी बुद्धि और विवेक के प्रतीक रूप में भी उन्हें पूजा जाता है।
गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणेश जी की पूजा के लिए उनके मंदिर या घर में उनकी मूर्ति स्थापित करते हैं। उन्हें फूल, अर्पण और दीप जलाकर पूजा की जाती है। पूजा के बाद, गणेश जी के आशीर्वाद के लिए प्रसाद बाँटा जाता है।इस दिन का अधिकतर महत्व उत्तर भारत में होता है जहां लोग इस त्योहार को बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाते हैं। वहां लोगों के बीच यह दिन एकता और समानता का प्रतीक होता है। लोग इस दिन अपने दुश्मनों से दोस्ती और प्यार का प्रदर्शन करते हैं।
अन्य भागों में भी गणेश चतुर्थी उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर, लोग परंपरागत नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं। उत्सव की धुनों के साथ, बच्चों को खुश करने के लिए खिलौने, मिठाई और नमकीन सब्जियां भी बांटे जाते हैं।
गणेश चतुर्थी महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ, इस उत्सव को सम्पूर्ण दुनिया भर में मनाया जाता है। विशेष रूप से, भारतीय दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह उत्सव देश के विभिन्न हिस्सों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे गणेश चतुर्थी, विनायक चतुर्थी और गणपति पूजा।
अंत में, गणेश चतुर्थी उत्सव धार्मिक एवं सामाजिक महत्वपूर्णता रखता है। इस दिन पूजा, उत्साह और एकता के साथ लोग गणेश जी के आशीर्वाद की कामना करते हैं। यह उत्सव लोगों को उनकी आस-पास के लोगों से जोड़ता है और इससे समाज में अनुशासन, भलैंगिकता और धर्म जैसी महत्वपूर्ण मूल्यों का विस्तार होता है। इस उत्सव के माध्यम से, लोग भगवान गणेश की उपासना करते हैं जो सभी देवों में सबसे प्रथम पूज्य होते हैं। इस उत्सव को मनाने से हम अपनी संस्कृति और धर्म के महत्व को समझते हैं और संपूर्ण मानवता के लिए सभ्यता, समानता और शांति के संदेश को फैलाते हैं।
गणेश चतुर्थी उत्सव का महत्व और महात्म्य एक अनुभव होता है जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। इस उत्सव का उद्देश्य संपूर्ण मानवता के लिए अनुशासन, समानता और शांति के संदेश को फैलाना होता है। यह उत्सव सभी धर्मों के लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो एकता की भावना से भारतीय संस्कृति के एक महत्वपूर्ण अंग को बढ़ावा देते हैं।इस उत्सव के दौरान, लोगों को एक-दूसरे के साथ एकता, प्रेम और समझौते का संदेश दिया जाता है। लोग अपनी ज़िम्मेदारियों के साथ खुशहाली और समृद्धजीवन के लिए बुद्धि और समझ के लिए भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
इस उत्सव का त्योहार महत्वपूर्ण भारतीय धर्मों के लिए होता है जिसे सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह उत्सव अपनी संपूर्णता में अनुशासन, प्रेम और समझौता को प्रतिनिधित्त्व करता है।

अंत में, हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख गणेश जी की कहानी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने में सक्षम हुआ है। इस उत्सव के मौके पर, हम सभी अपने घरों में गणेश जी के पूजन करें और उन्हें अपनी आशीर्वाद दें, जिससे हमारा जीवन सफल और खुशहाल हो। धन्यवाद
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