हेलो दोस्तों,
मै श्वेता, आप सभी का मेरे वेबसाइट chudailkikahani.com में स्वागत है | आज मै आप सभी को महाशिवरात्रि – छत्तीसगढ़ के सोमनाथ में रंग बदलने वाले शिवलिंग का रहस्य बताने वाली हु |आप सभी मेरे इस लेख को पूरा पढ़े धन्यवाद
शिवरात्रि हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य में भी यह पर्व विशेष आनंद के साथ मनाया जाता है और यहां पर्यटकों के बीच एक विशेष रंग बदलने वाले शिवलिंग की खूबसूरती से लोकप्रिय है। इस लेख में हम आपको इस रंग बदलने वाले शिवलिंग के बारे में सब कुछ बताएंगे।

सोमनाथ: एक पवित्र स्थान
सोमनाथ छत्तीसगढ़ राज्य के एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह शिव मंदिर रायपुर जिले के भीलाई नगर में स्थित है। सोमनाथ के मंदिर में एक अद्भुत रंग बदलने वाले शिवलिंग है जो इस स्थान को और अधिक प्रसिद्ध करता है।
रंग बदलने वाले शिवलिंग का रहस्य
इस लेख के शीर्षक में दिए गए लिंक पर जाकर आप एक रंग बदलने वाले शिवलिंग के बारे में विस्तृत जानकारी पा सकते हैं। यह अद्भुत शिवलिंग अपनी रंगत को बदलता है और इसकी प्रकृति का रहस्य अभी भी अनसुलझा है।
महाशिवरात्रि: शिव की पूजा और महत्व
महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म में शिव की प्रमुख पूजा का त्योहार है। इस दिन भक्तों द्वारा नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा की जाती है और अलग-अलग प्रकार के पूजा विधियां अपनाई जाती हैं। यह त्योहार शिव भक्तों के बीच बहुत ही लोकप्रिय है और इसे पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है।
रंग बदलने वाले शिवलिंग के प्रभाव
रंग बदलने वाले शिवलिंग का दर्शन करने के लिए लोग विभिन्न स्थानों से सोमनाथ आते हैं। यह शिवलिंग बहुत ही रहस्यमय है और इसके दर्शन करने से मनुष्य को एक अद्भुत आनंद का अनुभव होता है। शिवलिंग के रंग के बदलाव का विज्ञानिक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है, लेकिन लोग यह मानते हैं कि इसमें भगवान शिव की कृपा और शक्ति का प्रतीक है।
आपकी यात्रा का निर्देश
इस लेख के अंत में दिए गए लिंक पर जाएं और यह रोचक लेख पूरी तरह से पढ़ें। आप इस शानदार शिवलिंग के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे और यहां के अन्य धार्मिक स्थलों के बारे में भी पढ़ेंगे।
खारून और शिवनाथ नदी के संगम
खारून और शिवनाथ नदी के संगम पर एक ऐसा शिवलिंग भी विराजमान है जो साल में तीन बार रंग बदलता है। गर्मी, बरसात और ठंड में क्रमश: लाल, भूरा और काले रंग के साथ सोमनाथ महादेव भक्तों को दर्शन देते हैं।खारून और शिवनाथ नदी के संगम पर एक ऐसा शिवलिंग भी विराजमान है जो साल में तीन बार रंग बदलता है। गर्मी, बरसात और ठंड में क्रमश: लाल, भूरा और काले रंग के साथ सोमनाथ महादेव भक्तों को दर्शन देते हैं।
सिमगा के लखना गांव में स्थित लगभग 6-7 वीं शताब्दी के इस प्राचीन शिवमंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। रंग बदलने के साथ ही स्वयं-भू शिवलिंग का आकार लगातार बढ़ते जा रहा है। फिलहाल शिवलिंग की ऊंचाई तीन फीट है जिसकी गोलाई और ऊंचाई दोनों बढ़ रही है।
स्वयं-भू सोमनाथ मन्नतों वाले बाबा के रूप में जाने जाते हैं
राजधानी रायपुर से बिलासपुर रोड पर स्थित प्रकृति की सुरम्य वादियों में विराजमान स्वयं-भू सोमनाथ मन्नतों वाले बाबा के रूप में भी जाने जाते हैं। इसलिए हर साल सावन में कांवरिया यहां सैकड़ों किमी. का सफर करके जल चढ़ाते हैं। सोमनाथ के दर्शन के बाद संगम के बीच में स्थिति शिवलिंग का काल्पनिक दर्शन करना अनिवार्य है।
इसलिए लोग नाव में सवार होकर मंदिर की परिक्रमा करते हैं। सोमनाथ के प्राचीन मंदिर में शिव परिवार देवी पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नन्दी की प्रतिमा भी स्थापित है। इसी मन्दिर में उत्खनन के समय सोमनाथ महादेव शिवलिंग के ही प्रतिरूप शिवलिंग प्रतिमा मिली थी, जिसे निषाद समाज द्वारा निर्मित मन्दिर में स्थापित किया गया है।
संगम स्थल पर खारून नदी एवं शिवनाथ नदी के दूसरे पाट में जमघट, कृतपुर, सहगांव आदि ग्राम स्थित है। शिवनाथ नदी के किनारे मछुआरों का एक समूह रहता है जो यहां के तीर्थ स्थलों तक पर्यटकों को अपनी नौकाओं द्वारा लाना-ले जाना करता है। सोमनाथ तीर्थ स्थल छत्तीसगढ़ का एक मनोहारी पर्यटन स्थल के रूप में तेजी से उभर रहा है।

समापन
शिवरात्रि पर्व और सोमनाथ का रंग बदलने वाला शिवलिंग छत्तीसगढ़ राज्य में एक खास स्थान हैं। यहां के धार्मिक स्थलों की सुंदरता और अद्भुतता आपको प्रभावित करेगी और आपको अपने धार्मिक और आध्यात्मिक आंशिका के प्रति अधिक प्रशंसा करेगी। तो जल्दी इस लेख को पढ़ें और सोमनाथ की इस अनूठी प्राकृतिक विशेषता का आनंद लें।
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