RAHU KETU KI KAHANI IN HINDI (राहु को शांत कैसे करें?)

By Shweta Soni

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नमस्कार दोस्तों,

मेरा नाम श्वेता है और में हमारे वेबसाइट के मदत से आप के लिए नए नए और अच्छे अच्छे कहानी लेके आती रहती हु | वैसे ही आज मै आप के लिए लेके आयी हु राहु केतु की कहानी दोस्तों राहु केतु की कहानी को पढ़ के आप को बहुत ही आनंद आएगा तो प्लीस दोस्तों इस कहानी को पूरा जरूर पढ़े और अपने दोस्तों और परिवार वालो के पास शेयर जरूर करे धन्यवाद |

हमारे संस्कृति में नौ ग्रह बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। राहु और केतु भी उनमें से दो हैं। राहु को शुभ और अशुभ दोनों का कारक माना जाता है जबकि केतु केवल अशुभ कारक माना जाता है। दोनों ग्रहों की कहानी बहुत ही रोचक होती है।

यह कहानी महाभारत के समय की है। राजा दक्षिण कोसल नाम के राजा के पास दो बेटे थे। उनका नाम हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु था। हिरण्याक्ष की बहन का नाम सीता था, जिसे बाद में रावण ने हरण कर लिया।

हिरण्यकशिपु ने प्रबलता चाही थी। उसने अपनी तपस्या के बल पर देवों से वरदान मांगा था। वरदान मिलने के बाद वह अमर बन गया था। उसे मरने का कोई संभव नहीं था। वह निश्चय कर बृहस्पति और शुक्र ग्रहों के बच्चों को भी अमर बना देगा।

हिरण्यकशिपु का मंत्र उसकी तपस्या से अत्यंत शक्तिशाली हो गया था। उसने अगला वरदान मांगा कि वह एक ऐसी शक्ति का देह बन जाए, जो ना कभी जन्म ले ना मृत्यु को पार कर सके। इसके बाद उसने उस शक्ति का उपयोग कर देवों को लूटने का निश्चय किया।

उसने इस मंत्र का उपयोग करके उस शक्ति को जन्म दिया, जिसका नाम राहु हुआ। राहु असुरों में से एक था। उसकी शक्ति को देखते ही देवताओं ने समझ लिया था कि इससे भयंकर कुछ होने वाला है। उन्होंने उस शक्ति को नष्ट करने के लिए शिव जी की मदद मांगी।

शिव ने राहु को बहुत कस्ट किया था। उसे नष्ट करने के लिए वह उसे अपने तीखे तीर से बार-बार घायल करते थे, लेकिन राहु नहीं मरा। उसे तब नष्ट करने के लिए शिव ने उसे अपने त्रिशूल से छेद दिया था। राहु का शरीर तब दो भाग हो गया था। दोनों भाग अलग-अलग जगह चले गए।

एक भाग का नाम राहु रखा गया, जो ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ देता है। दूसरा भाग को केतु नाम दिया गया, जो ज्योतिषीय दृष्टि से अशुभ देता है।राहु को शांत करने के लिए कुछ उपाय होते हैं। उनमें से एक है मंदिर में श्रद्धा भक्ति से पूजा करना। राहु को अपने प्रभाव से मुक्त करने के लिए भगवान शिव की पूजा भी की जा सकती है।

RAHU KETU KI KAHANI IN HINDI (राहु को शांत कैसे करें?)
RAHU KETU KI KAHANI IN HINDI (राहु को शांत कैसे करें?)

राहु केतु की कहानी

हमारे संस्कृति में नौ ग्रह बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। राहु और केतु भी उनमें से दो हैं। राहु को शुभ और अशुभ दोनों का कारक माना जाता है जबकि केतु केवल अशुभ कारक माना जाता है। दोनों ग्रहों की कहानी बहुत ही रोचक होती है।

यह कहानी महाभारत के समय की है। राजा दक्षिण कोसल नाम के राजा के पास दो बेटे थे। उनका नाम हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु था। हिरण्याक्ष की बहन का नाम सीता था, जिसे बाद में रावण ने हरण कर लिया।

हिरण्यकशिपु ने प्रबलता चाही थी। उसने अपनी तपस्या के बल पर देवों से वरदान मांगा था। वरदान मिलने के बाद वह अमर बन गया था। उसे मरने का कोई संभव नहीं था। वह निश्चय कर बृहस्पति और शुक्र ग्रहों के बच्चों को भी अमर बना देगा।

हिरण्यकशिपु का मंत्र उसकी तपस्या से अत्यंत शक्तिशाली हो गया था। उसने अगला वरदान मांगा कि वह एक ऐसी शक्ति का देह बन जाए, जो ना कभी जन्म ले ना मृत्यु को पार कर सके। इसके बाद उसने उस शक्ति का उपयोग कर देवों को लूटने का निश्चय किया।

उसने इस मंत्र का उपयोग करके उस शक्ति को जन्म दिया, जिसका नाम राहु हुआ। राहु असुरों में से एक था। उसकी शक्ति को देखते ही देवताओं ने समझ लिया था कि इससे भयंकर कुछ होने वाला है। उन्होंने उस शक्ति को नष्ट करने के लिए शिव जी की मदद मांगी।

शिव ने राहु को बहुत कस्ट किया था। उसे नष्ट करने के लिए वह उसे अपने तीखे तीर से बार-बार घायल करते थे, लेकिन राहु नहीं मरा। उसे तब नष्ट करने के लिए शिव ने उसे अपने त्रिशूल से छेद दिया था। राहु का शरीर तब दो भाग हो गया था। दोनों भाग अलग-अलग जगह चले गए।

एक भाग का नाम राहु रखा गया, जो ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ देता है। दूसरा भाग को केतु नाम दिया गया, जो ज्योतिषीय दृष्टि से अशुभ देता है।राहु को शांत करने के लिए कुछ उपाय होते हैं। उनमें से एक है मंदिर में श्रद्धा भक्ति से पूजा करना। राहु को अपने प्रभाव से मुक्त करने के लिए भगवान शिव की पूजा भी की जा सकती है।

राहु और केतु का जन्म कैसे हुआ?

जैसा कि पुराणों में बताया जाता है, राहु और केतु असुर के पुत्र थे। यह असुर अपनी बड़ी ताकत का दिखावा करते थे और स्वर्ग में भगवानों को बुरा भला कहते थे। उन्हें बड़ी ताकत मिली थी इसलिए उन्होंने सोचा कि उन्हें स्वर्ग का राज्य मिलना चाहिए। इसलिए वे नामुमकिन काम करने लगे जैसे भगवान का अमृत पीने का प्रयास करना।

देवताओं ने उन्हें रोकने के लिए विष पीला दिया जिससे उनका शरीर तो नष्ट हो गया लेकिन उनकी आत्मा अमर हो गयी। देवताओं ने उनकी आत्मा को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट डाला और उन्हें स्वर्ग में फेंक दिया।

इस प्रकार, राहु के सर का टुकड़ा और केतु की पैर की अंगुली के टुकड़े स्वर्ग में उड़ गए और दोनों ग्रहों के रूप में बन गए। इसलिए राहु और केतु को स्वर्ग में जन्म नहीं मिला, बल्कि उन्हें भूमि पर जन्म मिला था जहां वे अब भी ग्रहों के रूप में अस्तित्व में हैं।

राहु और केतु दोनों ही सूर्य और चंद्रमा की गति को बदलते हैं और इनका प्रभाव भी भौतिक और मानसिक स्तर पर महसूस किया जा सकता है। राहु के प्रभाव से लोगों को भय, उलझन, अस्थिरता आदि की अनुभूति होती है जबकि केतु के प्रभाव से लोगों को धैर्य, अन्तर्दृष्टि, विवेक, संतुलन आदि की अनुभूति होती है।असुरों के अंत के बाद से, राहु और केतु को दोनों ही शान्ति और समझ के प्रतीक माना जाता है। वे ध्यान, मेधा, और ज्ञान के प्रतीक भी हैं।

यह कहा जाता है कि जिस व्यक्ति के जन्मकुंडली में राहु और केतु का प्रभाव ज्यादा होता है, उसे अपने जीवन में अलग-अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन जीवन के हर मुश्किल से लड़ने का सही तरीका यह है कि हम स्वयं को सशक्त करें और सक्रिय ढंग से अपने लक्ष्य को हासिल करें।

राहु और केतु की धार्मिक महत्त्व भी है। कुछ लोग मानते हैं कि राहु और केतु के दोषों को शांत करने के लिए शनिदेव की पूजा की जानी चाहिए। इसके अलावा, दूसरे लोग भी हैं जो मानते हैं कि यदि राहु और केतु का प्रभाव सकारात्मक रूप से उपयोग किया जाए, तो वे धन, समृद्धि और सफलता के लिए भी उपयोगी हो सकते हैं।

यदि हम अपनी उपयोगिता और सफलता के लिए राहु और केतु के संसार को समझें और उन्हें सही तरीके से नियंत्रित करें, तो हम एक सफल जीवन जी सकते हैं। इस तरह, राहु और केतु की कहानी अत्यंत रोचक और धार्मिक महत्व वाली है। ये दो ग्रह हमारे जीवन में विभिन्न प्रभाव डालते हैं और हमें अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करते हैं। हमें इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि राहु और केतु का प्रभाव हमारे जीवन में कैसे आता है और उन्हें कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।

इसके अलावा, राहु और केतु की कहानी हमें यह भी बताती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने सफल जीवन के लिए अपनी शक्तियों का सही इस्तेमाल कर सकता है। इसके लिए, धर्म, संस्कृति और परंपरा का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है।

राहु को शांत कैसे करें?

राहु एक उपग्रह है जो अस्त ग्रह के रूप में जाना जाता है। राहु को शांत या सकारात्मक बनाने के लिए, निम्नलिखित उपायों का पालन किया जा सकता है:

  1. राहु की पूजा करें: राहु की पूजा विभिन्न तरीकों से की जा सकती है जैसे कि मन्त्र जप और विधिवत पूजा। इससे राहु के दोषों को कम किया जा सकता है।
  2. नीलम पहनें: राहु के दोषों को कम करने के लिए, नीलम पहना जाता है। इसे पहनने से राहु के दोषों को शांत करने में मदद मिल सकती है।
  3. मन्त्र जप करें: राहु के दोषों को शांत करने के लिए, “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” नामक मन्त्र को जपा जा सकता है। इससे राहु के दोषों को दूर करने में मदद मिलती है।
  4. ध्यान और योग करें: ध्यान और योग करने से भी राहु के दोषों को कम किया जा सकता है। इससे दिमाग शांत होता है और अन्ततः राहु के दोषों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
  5. दान करें: राहु के दोषों को शांत करने के लिए दान करना भी महत्वपूर्ण होता है। राहु की शांति के लिए, सर्वश्रेष्ठ दान शरीर के लिए नीलम, वस्त्र और तांबे के बर्तन हैं। इसके अलावा अन्य दान जैसे कि अन्न, गुड़, घी, सफेद वस्त्र आदि भी किए जा सकते हैं।
  6. उपवास करें: राहु के दोषों को कम करने के लिए उपवास भी बहुत महत्वपूर्ण है। एक सप्ताह के दौरान जीवन की सभी खुशियों को त्याग दें और सिर्फ दूध, फल और सब्जियों का सेवन करें।
  7. राहु के उपाय के लिए कुंडली में राहु के स्थान को जानना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर राहु दोष कर रहा है तो उसे शांत करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं।
  8. राहु को शांत करने के लिए मंत्रों का जप भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” यह मंत्र राहु के दोषों को कम करने में मदद करता है।
  9. राहु की शांति के लिए चंदन और केसर का उपयोग किया जा सकता है। इन दो वस्तुओं को लेकर एक पात्र में रखें और उसे अपने पूजा स्थान पर रखें।
  10. राहु के दोष को कम करने के लिए आप शुक्रवार को चन्द्र देव की पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा चाँदी के आभूषणों का भी धारण कर सकते हैं।

इन सभी उपायों को अपनाकर राहु के दोषों को कम किया जा सकता है और इससे आपकी जीवन में अधिक सकारात्मकता और समृद्धि आ सकती है।

राहु को शांत करने का क्या उपाय है?

राहु को शांत करने के लिए कुछ उपाय हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  1. राहु के दोष को कम करने के लिए जिन लोगों का जन्म राहु के स्थान पर हुआ है, उन्हें चांदी का अधिक उपयोग करना चाहिए। चांदी के आभूषण, तबीज आदि धारण करने से राहु के दोष कम होते हैं।
  2. राहु की दशा में जगह बदलने से भी लाभ मिल सकता है। राहु की दशा में जाने से पहले एक अच्छी ज्योतिषी से परामर्श लेना चाहिए।
  3. राहु के दोष को कम करने के लिए उपायों में मन्त्र जप भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” यह मंत्र राहु के दोषों को कम करने में मदद करता है। इस मंत्र का जप करने से राहु के दोष कम होते हैं।
  4. राहु के दोष को कम करने के लिए सूर्य की अर्घ्यदान करना चाहिए। इससे राहु के दोष कम होते हैं।
  5. राहु को शांत करने के लिए शनिवार के दिन आप काली माता की पूजा कर सकते हैं। इससे राहु के दोष कम होते हैं।

ये थे कुछ उपाय जो राहु के दोष कम करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन आपको याद रखना चाहिए कि ये उपाय केवल एक मात्र इच्छाओं की पूर्ति नहीं होती हैं। इन उपायों को करने से पहले एक अच्छी ज्योतिषी से सलाह लेना बेहतर होगा।

इसके अलावा, राहु के दोष को कम करने के लिए आप शुभ दिनों पर अपने व्यवहार में सुधार कर सकते हैं। अधिक से अधिक लोगों को मदद करें और उन्हें खुश रखने का प्रयास करें। सच्चाई का साथ दें और कार्यों को निष्पक्ष रूप से करें। यह सब आपको राहु के दोष से मुक्ति दिलाने में मदद करेगा।

इसके अलावा, अपनी ध्यान व योग की प्रचीन विधियों का पालन भी आपको राहु के दोष कम करने में मदद कर सकता है। ध्यान करने से मन की शांति होती है जो आपको राहु के दोष से मुक्ति दिलाती है।

RAHU KETU KI KAHANI IN HINDI (राहु को शांत कैसे करें?)
RAHU KETU KI KAHANI IN HINDI (राहु को शांत कैसे करें?)

इन सभी उपायों को अपनाकर आप राहु के दोषों को कम कर सकते हैं। लेकिन आपको याद रखना चाहिए कि इन उपायों का पालन करने से पहले आपको अच्छी तरह से जांच करनी चाहिए कि यह उपाय आपके लिए उपास हैं। कुछ उपाय असरदार होते हैं, जबकि कुछ असरदार नहीं होते हैं। इसलिए, इन उपायों को शुरू करने से पहले आपको अच्छी तरह से सलाह लेना चाहिए।

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