SANTOSHI MATA KI KAHANI IN HINDI

By Shweta Soni

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नमस्कार दोस्तों ,

मेरा नाम श्वेता है और में हमारे वेबसाइट के मदद से आप के लिए आज संतोषी माता की कहानी लेके आई हु जिससे आपसभी को पता चलेगा की क्यों और कैसे संतोषी माता का पूजा करे, जिससे माता रानी आप सभी की मनोकामना पूरी करे , दोस्तों तो प्लीस इस कहानी को पूरा जरूर पढ़े और अपने दोस्तों और परिवार में शेयर जरूर करे धन्यवाद।

संतोषी माता एक हिंदू देवी हैं जिन्हें संतुष्टि और संतोष का अवतार माना जाता है। वह भगवान गणेश की बेटी के रूप में जानी जाती हैं, और मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों में उनकी पूजा की जाती है। संतोषी माता की कहानी एक लोकप्रिय कहानी है, और यह वर्षों से विभिन्न रूपों में दोहराई जाती रही है। यहाँ कहानी का एक संस्करण है:

संतोषी माता की कहानी

हिंदू धर्म में माँ दुर्गा के रूप में संतोषी माता एक प्रसिद्ध देवी हैं। संतोषी माता अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति में सहायता करती हैं। संतोषी माता की पूजा का परंपरागत तरीका है, जिसमें दूध, बादाम, आटे का हलवा, नारियल के लड्डू आदि अन्न प्रसाद के रूप में उपयोग होते हैं। संतोषी माता की कहानी एक बहुत ही रोचक एवं प्रेरणादायक कहानी है, जो बताती है कि संतोषी माता का वरदान किसी के लिए भी निश्चित होता है।

एक गांव में एक साधू रहता था। वह साधु बहुत ही दयालु और सत्य वाणी वाले थे। उनका गांव में बहुत ही बड़ा नाम था। सभी लोग उन्हें बहुत ही सम्मान से देखते थे। साधु ने अपना जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने अपनी पूजा के लिए संतोषी माता की प्रतिमा बनवाई थी और रोज उनकी पूजा की जाती थी।

एक दिन साधु ने सोचा कि अगले दिन संतोषी माता की पूजा के लिए अन्न प्रसाद की जगह धन और सम्पत्ति के लिए लोगों से दान मांगने का फैसला किया। जब उन्होंने यह सभी लोगों को बताया तो कुछ लोगों ने तो सहमति दी, लेकिन बहुत सारे लोग इस फैसले से खुश नहीं थे। उन्होंने साधु से कहा कि अन्न प्रसाद नहीं देंगे तो उनका कृपा दिवस भंग हो जाएगा।

साधु ने अपना फैसला नहीं बदला और उन्होंने अगले दिन धन और सम्पत्ति के लिए दान मांगने की मांग की। लेकिन लोगों ने उन्हें अन्न प्रसाद नहीं दिया। संतोषी माता ने उनके पूर्वजों के जैसा संतोष नहीं किया और अपनी कृपा दिवस को भंग कर दिया।

साधु ने इस घटना से बहुत ही दुख हुआ। उन्होंने इससे सीखा कि संतोषी माता की पूजा में अन्न प्रसाद नहीं होता तो उनकी कृपा दिवस नहीं होता। इस घटना से साधु ने अपने फैसले पर पछतावा करते हुए उन्हें अन्न प्रसाद देने का फैसला किया। उन्होंने लोग

उनको लगा कि धन से नहीं, संतोष से ज़िन्दगी जी सकती है। वे अब संतोषी माता की पूजा और अन्न प्रसाद को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते थे।

संतोषी माता की कहानी आगे बढ़ते हुए, एक और कथा है जो बताती है कि कैसे संतोषी माता ने एक बालक की मदद की। एक बालक था जो अपने माता-पिता के साथ एक छोटे से गाँव में रहता था। उनके परिवार में धन की कमी थी और वे अपने दैनिक जीवन की ज़रूरियातों को पूरा नहीं कर पा रहे थे।

एक दिन, उस बालक को संतोषी माता की पूजा के दौरान संतोषी माता ने दृष्टि दिया और उन्हें अपनी मदद के लिए बुलाया। उन्होंने बालक के सामने अपनी तीन मुखों वाली मूर्ति रखी और बताया कि यदि वह रोज़ संतोषी माता की पूजा करेगा, तो उन्हें सभी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।

बालक ने संतोषी माता के उपदेशों का पालन करते हुए पूजा शुरु की और देर से देर तक संतोषी माता की पूजा करता रहा। उसके बाद से, उसके परिवार में सुख-समृद्धि की बरसात होने लगी। धन की कमी दूर हो गयी और उनका जीवन सुख-शांति से भर गया।

संतोषी माता की कहानी में एक और रोचक घटना है जो बताती है कि कैसे एक सेवक ने अपनी सेवा के बल पर संतोषी माता के दर्शन किए। एक दिन, एक धनवान व्यक्ति अपने मंदिर में संतोषी माता की पूजा करने गया। उसने वहाँ अपने सेवक को भी साथ ले जाने के लिए कहा।

सेवक के पास इतना समय नहीं था क्योंकि उसे बहुत सारे काम थे। उसने अपने मालिक से पूछा कि क्या उसे कुछ और करना है। मालिक ने उसे समझाया कि सेवा सभी कामों से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है और वह आशीर्वाद और समृद्धि प्राप्त करने के लिए संतोषी माता के दर्शन करने जा रहा है।

सेवक ने अपने मालिक के उपदेशों का पालन करते हुए संतोषी माता के मंदिर में जाकर पूजा की और अन्न प्रसाद लिया। वह धन्य होकर वापस लौटा और जैसे ही उसने अपने मालिक को देखा, उसे समृद्धि की बरसात होने लगी।

संतोषी माता की कहानी के लिए भयानक मानी जाती है।

संतोषी माता की पूजा भारत के कुछ हिस्सों में बहुत लोकप्रिय है और वह दिवाली के समय बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। लोग इस उत्सव के अवसर पर संतोषी माता की विशेष पूजा करते हैं और अन्न प्रसाद बाँटते हैं।

संतोषी माता की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि भगवान की कृपा और आशीर्वाद केवल धन-दौलत नहीं होते हैं। असली समृद्धि उस व्यक्ति को मिलती है जो ईश्वर को समर्पित है और जो सेवा के माध्यम से अन्यों की मदद करता है।

संतोषी माता की कहानी बताती है कि ईश्वर को न तो कोई धन-दौलत चाहिए न ही कोई यश या सम्मान। भगवान सिर्फ उस व्यक्ति को अपने समीप बुलाते हैं जो उनकी सेवा करता है और जो दूसरों की मदद करता है।संतोषी माता की कहानी न केवल हमें आध्यात्मिक सीख देती है बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है कि सफलता और समृद्धि का रहस्य वही है जो सेवा, समर्पण और दूसरों की मदद के माध्यम से प्राप्त होता है।

इसलिए जब भी हम संतोषी माता की पूजा करते हैं, हमें उनकी कहानी से यह संदेश मिलता है कि हमें भगवान के साथ समर्पित होना चाहिए और हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। अगर हम दूसरों की मदद करते हैं तो उन्हें समस्याओं से निकालने में मदद मिलती है और हम खुशियों से भर जाते हैं।

संतोषी माता की पूजा करने के लिए हमें एक विशेष प्रकार का व्रत रखना पड़ता है। इस व्रत के दौरान हमें एक दिन में सिर्फ एक बार खाने की अनुमति होती है और हमें एक विशेष प्रकार का अन्न प्रसाद बनाना पड़ता है। इस अन्न प्रसाद को हम सभी मिलकर खाते हैं और भगवान की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं।

संतोषी माता की कहानी हमें यह भी बताती है कि जीवन में धन-दौलत नहीं सब कुछ होता है। सच्ची खुशी और समृद्धि उस व्यक्ति को मिलती है जो ईश्वर की सेवा करता है और जो दूसरों की मदद करता है। हमें यह सदा याद रखना चाहिए कि समृद्धि का मूल्य हमारे कर्मों से नहीं बल्कि हमारे मन में समृद्धि के प्रति भावना से होती है।

संतोषी माता की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि अगर हम भगवान की सेवा करते हैं तो हमारे सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसलिए हमें संतोषी माता की पूजा करने से पहले अपनी मनोकामनाओं को भूल जाना चाहिए और बस भगवान की सेवा में ध्यान लगाना चाहिए। अगर हम भगवान की सेवा करते हैं तो हमें न केवल खुशी मिलती है बल्कि हमारे जीवन में सफलता भी मिलती है।

संतोषी माता की कहानी बताती है कि हमें दूसरों की मदद करने का अवसर नहीं छोड़ना चाहिए। दूसरों की मदद करने से हमारा स्वार्थ नहीं बल्कि भगवान की सेवा होती है। हमें दूसरों की मदद करते हुए वह अनुभव मिलता है जो कुछ पैसों से नहीं खरीदा जा सकता है। यह अनुभव हमारे जीवन को धन्य बनाता है और हमारी आत्मा को शांति और सुखद बनाता है।

संतोषी माता का व्रत कहानी

संतोषी माता व्रत कथा हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस व्रत का उद्देश्य है माता संतोषी की पूजा करते हुए अपने जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति करना।संतोषी माता व्रत कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक गरीब औरत ने संतोषी माता की पूजा करना शुरू किया।

वह नियमित रूप से चने और जगरी परोसती थी और संतोषी माता की कृपा से उसकी समस्याएं धीरे-धीरे कम होती गईं। वह दिन-रात संतोषी माता की पूजा करती थी और उसके मन में कभी भी अपनी मनोकामनाएं नहीं आती थीं।

एक दिन, उस गरीब औरत के पड़ोस में एक धनवान महिला आई और उसने देखा कि वह गरीब औरत संतोषी माता की पूजा कर रही है। उसने जाना कि संतोषी माता की पूजा से क्या फायदे होते हैं तो उसे बताया गया कि संतोषी माता की पूजा से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

धनवान महिला ने अपने घर में संतोषी माता की पूजा शुरू की और अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कीं। लेकिन उसने यह भी देखा कि उसके पति और बच्चे बहुत ज्यादा व्यस्त रहते हैं और उन्हें उससे समय नहीं मिलता है। उसे दुख हुआ और उसने सोचा कि वह संतोषी माता की पूजा से अपने परिवार को भी समृद्ध कर सकती है।

धनवान महिला ने अपने पति को भी संतोषी माता की पूजा करने के लिए मनाया लेकिन उसके पति ने उसे विवशता से इनकार कर दिया। तब धनवान महिला ने अपनी सभी संपत्ति को बेच दिया और गरीबों को दान करने लगी। उसने यह सोचा कि अगर मैं संतोषी माता की पूजा करते हुए गरीबों की मदद करती हूँ तो मेरी मनोकामनाएं खुशी के साथ पूरी होंगी।

धनवान महिला ने अपने विवेक का पालन करते हुए एक बार फिर संतोषी माता की पूजा शुरू की। वह रोज चने, जगरी और फल अर्पित करती थी। धीरे-धीरे, उसकी समस्याएं दूर होने लगीं और उसका परिवार भी समृद्ध होने लगा। उसके पति और बच्चों के साथ समय बिताने लगीं और उन्हें भी उससे प्रभावित होने लगा।

एक दिन, धनवान महिला के द्वारा निकले गए एक नेक आदमी ने उसे संतोषी माता की कथा सुनाई। वह आदमी बताता था कि कैसे उसके द्वारा संतोषी माता की कथा सुनने से उसके लक्ष्मी का प्रवाह बढ़ गया था। उसने अपने अनुभवों को साझा करते हुए धनवान महिला को बताया कि अगर वह संतोषी माता की पूजा के साथ नियमित रूप से इस कथा को सुनती रहती है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी। दिया और उसके परिवार में भी संतोष और समृद्धि का माहौल बन गया।

संतोषी माता व्रत का महत्व

संतोषी माता व्रत धर्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस व्रत को नियमित रूप से करने से व्यक्ति को मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इस व्रत में संतोषी माता की कथा सुनने का भी बहुत महत्व होता है। संतोषी माता की कथा सुनने से मन शांत होता है और उसमें श्रद्धा और विश्वास का भाव उत्पन्न होता है।

व्रत के दौरान, व्यक्ति को एक दिन में सिर्फ एक बार भोजन करना होता है और उसे सफेद वस्त्र धारण करना होता है। वह उग्र पूजन करते हुए संतोषी माता की आराधना करता है और उसे पूजा विधि के अनुसार नैवेद्य, फल आदि चढ़ाता है।संतोषी माता की पूजा के दिन व्यक्ति को लोगों की मदद करनी चाहिए और दान-धर्म करना चाहिए। इस व्रत को करने से व्यक्ति को आनंद, सुख, धन, समृद्धि और समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

इस व्रत को करने से शरीर के रोग दूर होते हैं और मन शुद्ध होता है। व्यक्ति को अपनी शांति और समृद्धि के लिए इस व्रत का नियमित रूप से पालन करना चाहिए। संतोषी माता व्रत इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह आपके मन में एक दृष्टिकोण बदलता है। इस व्रत को करने से आप आसानी से अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं और संतोष और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं। व्रत को करने से आपकी भविष्य की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है।

दोस्तों तो आप सभी को संतोषी माता की कहानी अच्छी लगी हो तो प्लीस हमारी कहानी को आगे शेयर जरूर करे। कहानी में मैंने आप सभी को माता के माता पिता का नाम बताया है और साथ में उनके व्रत कैसे करे जिस से माँ प्रश्न हो कर आप के कास्ट को दूर करे धन्यवाद।

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