ईडाणा माता मंदिर उदयपुर, राजस्थान के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जो देवी मां के आग स्नान के अद्वितीय अनुभव के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हम इस मान्यता से भरपूर मंदिर के बारे में जानेंगे और इसका महत्व समझेंगे।
दोस्तों नवरात्रि का पवन त्योहार शुरू होने वाला है कुछ ही दिनों में, माता के भक्त माँ के आने का वर्षभर इन्जार करते है. मां आती है दरबार सजता है, जयकारे लगते है, डांडिया की धूम होती है चारों तरफ बस खुशियों का माहौल रहता है. आपकी खुशियों में चार चांद लगाने के लिए हम आपको कथा सुनाते हैं |
राजस्थान के उन चमत्कारी देवी मंदिरों की जहां साक्षात् मां दुर्गा देती है अपने भक्तों को दर्शन और हर लेती है उनके सारे दुःख, जहां दर्शन मात्र से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. उन्हीं दुर्गा मंदिर में से एक है उदयपुर के पास स्थित ईडाणा माता का मंदिर जहां देवी करती है अग्नि स्नान.
दोस्तों माना जाता है की ईडाणा माता 52 सक्ति पीठ में से एक है माता की चमत्कारी से सभी भक्तो की मनोकामना जरूर पूरी होती है तो चलिए जानते है 52 सक्ति पीठ में से एक ईडाणा माता के इतिहास….
( 51 सक्ति पीठ ) ईडाणा माता मंदिर – जहां देवी मां आग का स्नान करती है
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परिचय
इदाना माता मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के साथ हिमाचल प्रदेश के सुंदर सियालड गांव में स्थित है। यह स्थल एक प्रमुख धारणा स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, जहां देवी मां आग का स्नान करती हैं। यहां के पर्व और मेले भक्तों को आकर्षित करते हैं, और यह एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं।

ईडाणा माता दर्शनीय स्थल:
हमारे देश में ऐसे-ऐसे चमत्कारिक मंदिर हैं, जहां के चमत्कार देख आंखों पर यकिन कर पाना मुश्किल है. आज हम आपको ईडाणा माता ऐसे ही एक चमत्कारिक मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां देवी अग्नि स्नान करती हैं. यह चमत्कारिक मंदिर उदयपुर में स्थित है और इसे ईडाणा माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की महिमा बहुत ही अनोखी है.
यह उदयपुर शहर से 65 किलोमीटर दूर कुराबड़-बम्बोरा मार्ग पर श्री शक्ति पीठ ईडाणा माता का प्राचीन मंदिर अरावली की पहाड़ियों में स्थित है. सबसे खास बात इस मंदिर की यह है की इसके ऊपर कोई छत नहीं है और यहां राजराजेश्वरी खुले चौक में स्थित है. इस मंदिर का नामकरण ईडाणा उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध है.
चमत्कारिक मंदिर
यहां प्रसन्न होने पर ईडाणा मां अग्नि से स्नान करती है. स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां महीने में कम से कम 2-3 बार स्वत: ही अग्नि प्रज्जवलित हो जाती है और खास बात यह की इस अग्नि में माता की मूर्ति को छोड़कर उनका पूरा श्रृंगार और चुनरी सब कुछ स्वाहा हो जाता है. इस अग्नि स्नान को देखने के लिए भक्तों का मेला लगा रहता है,
लेकिन इस अग्नि के स्वयं प्रज्जवलित होने का रहस्य आज तक कोई पता नहीं लगा पाया कि आखिर ये अग्नि कैसे जलती है और क्यों देवी प्रतिमा को छोड़कर सब स्वाहा हो जाता है. मान्यता है कि सदियों पहले पांडव यहां से गुजरे थे, जिन्होंने भी माता की पूजा अर्चना की थी. साथ ही एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की जयसमंद झील के निर्माण के समय राजा जयसिंह भी यहां आए थे और देवी पूजा की थी.
मंदिर के कर्मचारी बताते हैं कि ईडाणा माता की मूर्ति के आगे अगरबत्ती नहीं चढ़ाई जाती है, क्योंकि लोगों को यह भ्रम ना हो कि अगरबत्ती की चिंगारी से आग लगती, यहां एक अखंड ज्योति जलती है, लेकिन वह कांच के बॉक्स के अंदर रखी रहती है. माता को भक्त चूनरी या श्रृंगार के सामान चढ़ाते हैं, जो उनकी प्रतिमा के पीछे ही रखते है रहती. चढ़ावें का भार ज्यादा होने और मां के प्रसन्न होने पर मां की मूर्ति अग्नि स्नान कर करती है और फिर 1-2 दिन में आग शांत भी हो जाती है.

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DEVI MAA : यहां भक्त त्रिशूल चढ़ाते हैं
यहां भक्त अपनी इच्छा पूर्ण होने पर त्रिशूल चढ़ाने आते है और साथ ही जिन लोगों के संतान नहीं होती वो दंपती यहां झूला चढ़ाने आते हैं। खासकर इस मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास है कि लकवा से ग्रसित रोगी मां के दरबार में आकर स्वस्थ हो जाते हैं।
ईडाणा मां ज्वालादेवी का रूप धारण करती है
इस मंदिर में भक्तों की खास आस्था है क्योंकि ईडाणा मां न केवल अग्नि से स्नान करती है बल्कि यहां मान्यता है कि लकवे से ग्रसित रोगी मां के दरबार में आकर ठीक हो जाते हैं. ईडाणा माता मंदिर में अग्नि स्नान का पता लगते ही आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है. मंदिर के पुजारी के अनुसार ईडाणा माता पर अधिक भार होने पर माता स्वयं ज्वालादेवी का रूप धारण कर लेती हैं, ये अग्नि धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करती है और इसकी लपटें 10 से 20 फीट तक पहुंच जाती है.
माता की पहली बार पूजा पांडवों ने की थी
मंदिर से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि मंदिर पूरा खुला हुआ है और माताजी विराजमान है. मान्यता है कि सदियों पहले पांडव यहाँ से गुजरे थे जिन्होंने भी माता की पूजा अर्चना की थी. साथ ही एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की जयसमंद झील के निर्माण के समय राजा जयसिंह भी यहां आए थे और देवी शक्ति की पूजा की थी.

समापन
इदाना माता मंदिर एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल है जो भक्तों के लिए आत्मिक और मानविक विकास का माध्यम है। यहां के पर्व और मेले भक्तों को जोड़ते हैं और इसे एक सुखद धारणा अनुभव करने का सुनहरा अवसर प्रदान करते हैं।
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