आपने शायद कभी सोचा है कि भूतों ने किसी मंदिर की नींव रखी हो सकती है? यह एक बहुत ही रोचक और अद्वितीय घटना है, जिसका अर्थ है कि हमारे प्राचीन धार्मिक स्थल अक्सर अत्यंत रहस्यमय होते हैं। आइए, हम एक ऐसे मंदिर के बारे में चर्चा करें जिसे कहा जाता है कि इसे हजार साल पहले भूतों ने बनाया था और उसका एक गुप्त रहस्य है।
भूतोंवाला मंदिर की कथा
मुरैना के ककनमठ मंदिर को भूतों का मंदिर भी कहा जाता है. जब हम यहां पहुंचे तो लोगों का कहना था कि यह मंदिर एक रात में भूतों ने बनवाया, जब भूत यह मंदिर बना रहे थे और मंदिर का निर्माण पूर्ण होने ही वाला था कि सुबह के समय गांव की किसी महिला ने हाथ से चलने वाली चक्की चला दी तो भूत इस मंदिर को अधूरा छोड़ कर भाग गए, इसी कारण इसे भूतों का मंदिर कहते हैं. इसे आप देखेंगे तो आपको अधूरा लगेगा, खैर इसमें कितनी सच्चाई है इससे जुड़े सटीक प्रमाण नहीं हैं.

शिव मंदिर का राज
भारत का यह मंदिर मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में स्थित है , जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर सिहोनिया गांव में यह मंदिर पड़ता है, जब आप यहां जाएंगे तो 3 किलोमीटर दूर से ही मंदिर का गुंबद दिखाई दे जाएगा. अगर आप यहां जाना चाहते हैं तो आपको अपने स्वयं के वाहन से, या किराए का वाहन करके ही जाना होगा क्योंकि इस मार्ग पर बसें नहीं चलती हैं.
यह 115 फीट ऊंचा मंदिर शिवालय है, यानि भगवान शिव का एक विशाल मंदिर है, मंदिर खंडहर की अवस्था में है, जैसे ही मंदिर में प्रवेश करेंगे तो आपको कुछ सीढ़िया चढ़नी होंगी. इसके बाद आप शिवलिंग के दर्शन कर पाएंगे. मंदिर में जाने से पहले आपको दोनों तरफ कई खंभे दिखेंगे.
इतिहासकारों के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण कछवाहा वंश के राजा कीर्ति राज ने 11वीं शताब्दी में करवाया था, राजा की पत्नी रानी ककनावती शिव भक्त थीं, जिस वजह से इस मंदिर का नाम रानी के नाम पर ही ककनमठ रखा गया है. माना जाता है कि आंधी तूफान की वजह से आसपास के कई छोटे छोटे मंदिर नष्ट हो चुके हैं. मंदिर के चारों ओर खेत हैं. इन खेतों में इस मंदिर के अवशेष पड़े हुए हैं. यहां खुदाई के दौरान भी कई अवशेष मिलते हैं.
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लोगों का आश्चर्य
सिम्भावली के दातियाना गांव में एक प्राचीन शिव मंदिर है, यहां के लोगों का मानना है कि यह मंदिर भूतों का बनाया हुआ है। स्थानिय लोग इसे ‘भूतों वाला मंदिर’ के नाम से जानते हैं। लोगों का मानना है कि इस मंदिर को भूतों ने एक रात में बनाया था।
लाल रंग की ईंटों से बने इस मंदिर में सिमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। लोगों का कहना है कि ये मंदिर हजारों साल पुराना है, लेकिन आज तक वैसा का वैसा की खड़ा है। कितनी ही प्राकृतिक आपदाएं आई और गई, लेकिन मंदिर वहीं का वहीं है।
इतने सालों में केवल मंदिर के शिखर को नुकसान पहुंचा है। बताया जाता है कि मंदिर के शिखर का निर्माण बाद में हुआ, जिसे सिमेंट से बनाया गया है। गांव के लोगों का कहना है कि शिखर को भूतों ने नहीं बनाया है।
इस मंदिर को देखकर ऐसा लगता है कि यह कभी भी गिर सकता है, लेकिन हजारों वर्ष से लेकर आज भी यह मंदिर वैसे ही खड़ा है। आंधी-तूफान में भी मंदिर का कोई भी हिस्सा हिलता-डुलता नहीं है।
कई लोगों का मानना है कि वैज्ञानिकों ने भी इस मंदिर का निरीक्षण कर चुके हैं और उन्हें यह मालूम नहीं चल सका कि इसका निर्माण कैसे किया गया है। कहा जाता है कि यहां कई मूर्तियां टूटी हुई अवस्था में हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर को मध्य प्रदेश का अजूबा मंदिर माना जाता है।

निष्कर्षण
ककनमठ मंदिर एक अद्भुत धार्मिक स्थल है जहां की रोचक कहानियां और इतिहास हर व्यक्ति को आकर्षित करती हैं। यहां की आध्यात्मिक महत्वपूर्णा और सुंदर वास्तु शास्त्र की वजह से यह मंदिर भारत की धार्मिक विरासत का एक महत्तवपूर्ण हिसा है।
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