पूरी जानकारी: प्रेमानंद जी महाराज की जीवनी

By Shweta Soni

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प्रेमानंद महाराज जी आजकल सोशल मीडिया पर काफी सर्च हो रहे हैं, क्योंकि वृंदावन में इनके पास प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी विराट कोहली, उनकी वाइफ अनुष्का शर्मा और उनकी बेटी वामिका कोहली गए थे। जहां इन्होने महाराज जी के सत्संग को सुना। उसके बाद ही विराट कोहली ने दो शतक मारे।

उनके पिता श्री शंभु पाण्डेय एक भक्त व्यक्ति थे और उन्होंने बाद के वर्षों में सन्यास स्वीकार कर लिया। उनकी माता श्रीमती रमा देवी बहुत पवित्र थीं और सभी संतों के लिए उनके मन में बहुत सम्मान था। दोनों नियमित रूप से संत-सेवा और विभिन्न भक्ति सेवाओं में लगे हुए थे। उनके बड़े भाई ने श्रीमद्भागवतम के श्लोक पढ़कर परिवार की आध्यात्मिक आभा को बढ़ाया। पवित्र गृहस्थी के वातावरण ने उसके भीतर छिपी अव्यक्त आध्यात्मिक चिंगारी को तीव्र कर दिया।

प्रस्तावना

महाराज जी का नाम तो सुना ही होगा अपने, आज उनके बारें में थोड़ा जान भी लेते है। तो आइये जानते है, प्रेमानंद जी महाराज का जीवन (Premanand Ji Maharaj Biography) जन्म, उम्र और परिवार की कहानी।

पूरी जानकारी: प्रेमानंद जी महाराज की जीवनी

पूरी जानकारी: प्रेमानंद जी महाराज की जीवनी

Premanand ji Maharaj Biography Overview

बचपन का नामअनिरुद्ध कुमार पांडे
जन्म स्थलअखरी गांव,सरसोल ब्लॉक, कानपुर, उत्तर प्रदेश
माता-पिता का नाममाता रमा देवी और पिता श्री शंभू पाण्‍डेय
घर त्यागा13 साल की उम्र में
महाराज जी के गुरुश्री गौरंगी शरण जी महाराज
गुरु की सेवा10 वर्षो तक
महाराज की उम्र(age)60 वर्ष लगभग
पूरी जानकारी: प्रेमानंद जी महाराज की जीवनी

प्रेमानंद महाराज जी का जन्म

प्रेमानंद महाराज जी का जन्म अखरी गांव, सरसोल ब्लॉक, कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था उनका परिवार बहुत साधारण और पवित्र था इसलिए उनका बचपन बहुत ही साधारण रूप से बिता।

बचपन से उनका बौद्धिक स्तर अन्य बच्चों से अलग था, उनका ज्यादा ध्यान भक्ति भाव पर था बचपन से मंदिर जाना, कीर्तन करना और चालीसा का पाठ पड़ना आरंभ किया।

संन्यासी जीवन में कई दिनों तक रहे भूखे

प्रेमानंद जी महाराज संन्यासी बनने के लिए घर का त्याग कर वाराणसी आ गए और यहीं अपना जीवन बिताने लगे. संन्यासी जीवन की दिनचर्या में वे गंगा में प्रतिदिन तीन बार स्नान करते थे और तुलसी घाट पर भगवान शिव और माता गंगा का ध्यान व पूजन किया करते थे. वे दिन में केवल एक बार ही भोजन करते थे.

प्रेमानंद जी महाराज भिक्षा मांगने के स्थान पर भोजन प्राप्ति की इच्छा से 10-15 मिनट बैठते थे. यदि इतने समय में भोजन मिला तो वह उसे ग्रहण करते थे नहीं हो सिर्फ गंगाजल पीकर रह जाते थे. संन्यासी जीवन की दिनचर्या में प्रेमानंद जी महाराज ने कई-कई दिन भूखे रहकर बिताया.

प्रेमानंद जी के वृंदावन पहुंचने की चमत्कारी कहानी

प्रेमानंद महाराज जी के संन्यासी बनने के बाद वृंदावन आने की कहानी बेहद चमत्कारी है. एक दिन प्रेमानंद जी महाराज से मिलने एक अपरिचित संत आए और उन्होंने कहा श्री हनुमत धाम विश्वविद्यालय में श्रीराम शर्मा के द्वारा दिन में श्री चैतन्य लीला और रात्रि में रासलीला मंच का आयोजन किया गया है, जिसमें आप आमंत्रित हैं. पहले तो  महाराज जी ने अपरिचित साधु को आने के लिए मना कर दिया.

लेकिन साधु ने उनसे आयोजन में शामिल होने के लिए काफी आग्रह की, जिसके बाद महाराज जी ने आमंत्रण स्वीकार कर लिया. प्रेमानंद जी महाराज जब चैतन्य लीला और रासलीला देखने गए तो उन्हें आयोजन बहुत पसंद आया. यह आयोजन लगभग एक महीने तक चला और इसके बाद समाप्त हो गया.

चैतन्य लीला और रासलीला का आयोजन समाप्त होने के बाद प्रेमानंद जी महाराज को आयोजन देखने की व्याकुलता होने लगी कि, अब उन्हें रासलीला कैसे देखने को कैसे मिलेगी. इसके बाद महाराज जी उसी संत के पास गए जो उन्हें आमंत्रित करने आए थे. उनसे मिलकर महाराज जी कहने लगे, मुझे भी अपने साथ ले चलें, जिससे कि मैं रासलीला को देख सकूं. इसके बदले मैं आपकी सेवा करूंगा.

प्रेमानंद महाराज जी का परिवार

प्रेमानंद महाराज जी के शंभू पांडे जी था जो की एक भक्त व्यक्ति थे एवं उनकी माता का नाम रमा देवी था। इनका परिवार पहले से ही भक्ति-भाव तथा जो साधु-संत होते थे उनकी सेवा करने पर ही लगे रहते थे। महाराज जी के जो दादा जी थे वे भी एक संस्यासी थे।

महाराज जी के जो बड़े भाई थे वे भी उनकी तरह अद्भुद थे उनको श्रीमद्भगवतम गीता का पूरा ज्ञान आध्यात्मिक रूप से प्राप्त था तथा उनका पूरा एक साथ बैठ कर ये सुना करते थे।

पूरी जानकारी: प्रेमानंद जी महाराज की जीवनी

प्रेमानंद जी महाराज का शिक्षा

उन्होंने स्कूल में पढ़ने और भौतिकवादी ज्ञान प्राप्त करने के महत्व पर सवाल उठाया और बताया कि यह कैसे उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा। उत्तर खोजने के लिए उन्होंने श्री राम जय राम जय जय राम और श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जाप करना शुरू किया।

जब वे 9वीं कक्षा में थे तब तक उन्होंने एक आध्यात्मिक जीवन जीने का दृढ़ निश्चय कर लिया था। उन्होंने अपनी मां को अपने विचारों और निर्णय के बारे में बताया। 13 वर्ष की छोटी उम्र में एक सुबह महाराज जी ने मानव जीवन के पीछे की सच्चाई का अनावरण करने के लिए अपना घर छोड़ दिया।

समापन

इस लेख में, हमने प्रेमानंद जी महाराज की जीवनी के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को जाना। उनका जीवन ध्यान, सेवा, और आध्यात्मिकता का एक अद्वितीय मिश्रण था, जिससे हमें अपने जीवन में सही मार्ग पर चलने के लिए संदेश मिलता है।

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