EGO Ka Matlab Kya Hota Hai : हमारा ईगो ही हमारा सबसे बड़ा शत्रु है

By Shweta Soni

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हेलो दोस्तों, आप सभी का इस लेख में स्वागत है आज हम इस लेख में EGO Ka Matlab Kya Hota Hai के बारे में बात करेंगे | ईगो क्या है ईगो हर एक व्यक्ति के में होती है | जो अपने आप को इस समष्टि से अलग मानना ही अहंकार है। “मैं सबसे अच्छा हूं” या “सबसे बुरा हूं”, दोनों ही अहंकार हैं। और, अहंकार को तोड़ने की चेष्टा ना करो। ऐसा लगता है, अहंकार है मुझमें तो उसको रहने दो; बोलो, अच्छा ठीक है, तुम रह जाओ।

अपनी जेब में रख लो अपने अहंकार को। तुम देखोगे, अपने आप तुम सहज हो जाते हो। “सहजता का अभाव ही अहंकार है।” “सरलता का अभाव ही अहंकार है।” “अपनेपन का अभाव ही अहंकार है।” “आत्मीयता का अभाव ही अहंकार है।” और, इसको तोड़ने के लिए हमें सहजता, आत्मीयता, अपनापन, सरलता, इन सब को जीवन में अपनाना पड़ेगा।

पूर्ण निष्ठा आपके अन्दर असीम जोश, उत्साह, भरोसा और चुनौती लाती है और फिर अहंकार के लिए कोई स्थान नहीं रहता। एक नेता, बुद्धिमान व्यक्ति, व्यापारी या सेवक के लिए अहंकार एक रूकावट है। लेकिन एक योद्धा या प्रतियोगी के लिए अहंकार बहुत आवश्यक है।

EGO Ka Matlab Kya Hota Hai

EGO Ka Matlab Kya Hota Hai

ईगो (Ego) जिसको हिंदी मे ट्रांसलेट करने पर मुझे इसका अर्थ अहंकार प्राप्त होता है । Ego अच्छा भी है और बुरा भी ये आप पर  निर्भर करता है, की आप किसके साथ जाना चाहेंगे। अगर आप ये  सोचते है की हर कोई आपकी गुलामी करे  तो एक बात हमेशा याद रखना की यही सोच आगे चल कर आपको अपना गुलाम बना लेती है | EGO Ka Matlab Kya Hota Hai

ईगो फुल फॉर्म क्या है?

[ (ई-गोह)किसी भी व्यक्ति का “मैं” या स्वयं (अहंकार लैटिन में “मैं” के लिए है)। मनोवैज्ञानिक शब्दों में, अहंकार मानस का वह हिस्सा है जो बाहरी दुनिया का अनुभव करता है और उस पर प्रतिक्रिया करता है, जो आईडी की आदिम ड्राइव और सामाजिक वातावरण की मांगों के बीच आता है, जो सुपरईगो द्वारा दर्शाया जाता है। EGO Ka Matlab Kya Hota Hai

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Types of Ego ( अहंकार के प्रकार )

EGO Ka Matlab Kya Hota Hai
  1. तामसिक अहंकार – क्रूर और अँधा होता है। इसका स्वभाव है कि यह स्वयं को ही हानि पहुंचाता है।
  2. राजसिक अहंकार – स्वार्थी होता है। यह खुद को भी कष्ट देता है और दूसरों को भी।
  3. सात्विक अहंकार – रचनात्मक होता है और रक्षा करना इसका स्वभाव है। यदि आप समर्पण नहीं कर सकते, तो कम से कम सात्विक अहंकार रखिये, क्योंकि सात्विक अहंकार सदैव त्याग करने के लिए तैयार रहता है।

वह आत्मसमर्पण है, जिसके कारण हम किसी कार्य के लिए खुद को त्याग देते हैं। आत्मसमर्पण ही हमें शक्ति और साहस देता है। यह हमारे अंदर वीरता का उत्पन्न करता है, जिससे हम चुनौतियों का सामना धैर्य और दृढ़ता से कर सकते हैं। एक दृढ़ आत्मसमर्पण अवसाद को खत्म कर देता है।

अक्सर हम सोचते हैं कि आत्मसमर्पण स्वार्थी होता है, लेकिन वास्तव में यह आत्मसमर्पण ही है जो हमें रचनात्मकता और उदारता के लिए प्रेरित करता है। गुणों को अच्छा या बुरा ना कहते हुए, केवल गुणों का हमें मानना चाहिए। (गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने भी यही कहा है।) EGO Ka Matlab Kya Hota Hai

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इगो का क्या कार्य है?

इसीलिए दो भिन्न प्रवृत्तियाँ संतुष्ट हो उन्हें कम से कम पीड़ा हो, इस तरह का हल निकालने एवं समन्वय कायम करने की जिम्मेदारी मन के एक हिस्से को ही निभानी पड़ती है। यह समन्वय कायम करते समय हो बीच का हिस्सा विकसित होने लगता है, जिसे ‘ईगो’ कहा जाता हैEGO Ka Matlab Kya Hota Hai

समापन

EGO Ka Matlab Kya Hota Hai और महत्व इस लेख में विस्तार से विवेचित किया गया है। अच्छा ईगो हमें स्वतंत्रता और स्वाभिमान का अनुभव कराता है, जबकि अधिक ईगो हमें समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

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