जय माता दी, दोस्तों आप सभी का इस लेख में स्वागत है आज हम इस लेख में Chaitra Navratri Ka Matlab Kya Hai : इस पवित्र त्योहार का मतलब और महत्व जो जानेगे की मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा चैत्र नवरात्रि में भी की जाती है और शारदीय नवरात्रि में भी, फिर भी आखिर ऐसा क्या है, जो दोनों को एक दूसरे से अलग बनाता है |
गृहस्थ लोगों के लिए साल में दो बार नवरात्रि (Navratri) का पर्व आता है. पहला चैत्र के महीने में, इस नवरात्रि के साथ हिंदू नव वर्ष (Hindu New Year) की भी शुरुआत होती है. इसे चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) कहा जाता है. दूसरी नवरात्रि आश्विन माह में आती है, जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है |
नवरात्र का अर्थ है कि ‘नौ विशेष रातें‘। इन नौ रातों में देवी शक्ति और उनके नौ रूपों की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। Chaitra Navratri Ka Matlab Kya Hai
चैत्र की नवरात्रि क्यों मनाते हैं?
चैत्र नवरात्र का व्रत मां दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। इस साल चैत्र नवरात्र की शुरुआत 9 अप्रैल से हो रही है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस व्रत के सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। Chaitra Navratri Ka Matlab Kya Hai
चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि
मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा चैत्र नवरात्रि में भी की जाती है और शारदीय नवरात्रि में भी, फिर भी आखिर ऐसा क्या है, जो दोनों को एक दूसरे से अलग बनाता है | गृहस्थ लोगों के लिए साल में दो बार नवरात्रि का पर्व आता है। पहला चैत्र के महीने में, इस नवरात्रि के साथ हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है।
इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। दूसरी नवरात्रि आश्विन माह में आती है, जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। पौष और आषाढ़ के महीने में भी नवरात्रि का पर्व आता है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है, लेकिन उस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है, गृहस्थ और पारिवारिक लोगों के लिए सिर्फ चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही उत्तम माना गया है। दोनों में ही मातारानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। Chaitra Navratri Ka Matlab Kya Hai
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चैत्र नवरात्रि मनाने का कारण
कहा जाता है कि जब धरती पर महिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया और देवता भी उसे हरा पाने में असमर्थ हो गए, क्योंकि महिषासुर का वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता। ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया। इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया। ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला, तब से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा। Chaitra Navratri Ka Matlab Kya Hai
चैत्र नवरात्रि 2024 में माता की सवारी
हम सभी जानते हैं कि माता दुर्गा शेर पर सवार होती हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान वार के अनुसार माता की सवारियां अलग-अलग बतायी गयी हैं। जैसे शनिवार और मंगलवार के दिन जब भी नवरात्रि की शुरुआत होती है तो माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। इसी तरह गुरुवार और शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो तो माता की सवारी होती है डोली। बुधवार से शुरु होने वाली नवरात्रि में माता दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं।
सोमवार और रविवार को नवरात्रि का आरंभ होने पर हाथी माता की सवारी होती है। माता की सवारी के अनुसार ही नवसंवत्सर के बारे में आकलन किया जाता है। 9 अप्रैल से नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही हिंदू नवसंवत्सर 2081 की भी शुरुआत होगी, नवसंवत्सर कैसा रहने वाला है आइए जानते हैं | Chaitra Navratri Ka Matlab Kya Hai
चैत्र नवरात्रि 2024 की प्रमुख तिथियां
# | तिथि व्रत | रूप |
---|---|---|
1. | चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि व्रत 9 अप्रैल 2024 | मां शैलपुत्री की पूजा |
2. | चैत्र नवरात्रि द्वितीया तिथि व्रत 10 अप्रैल 2024 | मां ब्रह्मचारिणी की पूजा |
3. | चैत्र नवरात्रि तृतीया तिथि व्रत 11 अप्रैल 2024 | मां चंद्रघंटा की पूजा |
4. | चैत्र नवरात्रि चतुर्थी तिथि व्रत 12 अप्रैल 2024 | मां कुष्माण्डा की पूजा |
5. | चैत्र नवरात्रि पंचमी तिथि व्रत 13 अप्रैल 2024 | मां स्कंदमाता की पूजा |
6. | चैत्र नवरात्रि षष्ठी तिथि व्रत 14 अप्रैल 2024 | मां कात्यायनी की पूजा |
7. | चैत्र नवरात्रि सप्तमी तिथि व्रत 15 अप्रैल 2024 | मां कालरात्री की पूजा |
8. | चैत्र नवरात्रि अष्टमी तिथि व्रत 16 अप्रैल 2024 | मां महागौरी की पूजा, अष्टमी |
9. | चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि व्रत 17 अप्रैल 2024 | मां सिद्धिदात्री की पूजा, नवमी |
हर साल चार नवरात्रि
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर साल चार बार माता दुर्गा की पूजा का उत्सव नवरात्रि आता है। इसमें से दो बार की नवरात्रि शारदीय और चैत्र नवरात्रि को प्रत्यक्ष तो दो बार की नवरात्रि माघ और आषाढ़ की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। प्रत्यक्ष नवरात्रि शारदीय और चैत्र नवरात्रि में मुख्य रूप से गृहस्थ पूजा अर्चना करते हैं और इस समय माता दुर्गा के नौ स्वरूप पूजे जाते हैं,
जबकि गुप्त नवरात्रि में प्रायः तंत्र साधना की जाती है और माता दुर्गा की दस महाविद्या की पूजा की जाती है। मान्यता है इस समय गुप्त रूप से साधना की जाती है और प्रायः साधु संन्यासी, शाक्त संप्रदाय के लोग इस समय महाविद्या की पूजा करते हैं। Chaitra Navratri Ka Matlab Kya Hai
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