PANCHTANTRA KI 5 KAHANIYA IN HINDI

By Shweta Soni

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हेलो दोस्तों,

मेरा नाम श्वेता है, आज मै आप सभी के लिए पंचतंत्र की कहानी लेके आई हु ,पंचतंत्र भारतीय साहित्य के प्रसिद्ध और प्रभावशाली ग्रंथों में से एक है। इसे विष्णु शर्मा नामक एक विद्वान ब्राह्मण द्वारा लिखा गया था, जो इन कहानियों का उपयोग अपने छात्रों को नैतिक और धार्मिक मूल्यों को सिखाने के लिए करता था। यह ग्रंथ समय के साथ बहुत लोकप्रिय हो गया है और भारतीय उपमहाद्वीप में इसके कुछ रुपांतर भी हुए हैं।

पंचतंत्र के नाम में “पंच” शब्द उन पांच कहानियों को दर्शाता है जो इसमें होती हैं। ये कहानियां जीव-जन्तुओं और इंसानों के बीच होने वाले रिश्तों को और वे रिश्ते कैसे होते हैं, उनके साथ कैसे व्यवहार किया जाता है आदि को दर्शाती हैं।

पंचतंत्र में कुल मिलाकर 87 कहानियां हैं, जो अलग-अलग चरित्रों के बारे में होती हैं। इन कहानियों के माध्यम से, लोगों को नैतिक और धार्मिक मूल्यों के बारे में सिखाया जाता है जैसे कि सच्चाई की महत्ता, संयम, सामंजस्य, सौहार्द और दया आदि।

पंचतंत्र कहानियों में प्रत्येक चरित्र अपने विशिष्ट गुणों के कारण यादगार होता है। इन कहानियों में जानवरों, पक्षियों, राजा-मंत्री और इंसानों जैसे विभिन्न प्राणियों के चरित्र होते हैं। कुछ चरित्र जैसे शेर, बाघ और चींटी जैसे जानवर अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं होते और दूसरों से लड़ाई भी करते हैं। वहीं कुछ अन्य चरित्र जैसे कौआ और लोमड़ी समझदार तरीके से सोचते हुए बचते हैं और अपनी चतुराई द्वारा जीत हासिल करते हैं।

पंचतंत्र के इन कहानियों में वाक्यांशों का उपयोग किया गया है, जो एक से दूसरे से जुड़े होते हैं और पूरी कहानी को संपूर्ण करते हैं। इस तरह के वाक्यांश उपयोग करने से यह भी सुनिश्चित होता है कि कहानी की सीधी-सीधी नीति अधिक यादगार होती है और लोग इसे आसानी से याद रख सकते हैं।

आप पंचतंत्र की पांच कहानियाँ हिंदी में यहां पाएंगे:

1- सिंह और खरगोश: एक जंगल में एक सिंह और एक खरगोश रहते थे। एक दिन सिंह ने खरगोश को पकड़ लिया और उसे खाने के लिए रख दिया। खरगोश ने सिंह से चुनौती दी और सिंह को अपनी चाल से फुसलाया।

किसी घने जंगल में एक बहुत बड़ा शेर रहता था. वह रोज़ शिकार पर निकलता और एक-दो नहीं, कई-कई जानवरों का काम तमाम देता. जंगल के जानवर डरने लगे कि अगर शेर इसी तरह शिकार करता रहा, तो एक दिन ऐसा आएगा कि जंगल में कोई जानवर ही नहीं बचेगा.

सारे जंगल में सनसनी फैल गई. शेर को रोकने के लिये कोई न कोई उपाय करना ज़रूरी था. एक दिन जंगल के सारे जानवर इकट्ठा हुए और इस प्रश्‍न पर विचार करने लगे. अंत में उन्होंने तय किया कि वे सब शेर के पास जाकर उनसे इस बारे में बात करेंगे. दूसरे दिन जानवरों का एक दल शेर के पास पहुंचा. उनको अपनी ओर आते देख शेर घबरा गया और उसने गरजकर पूछा, “क्या बात है? तुम सब यहां क्यों आए हो?”

जानवर दल के नेता ने कहा, “महाराज, हम आपके पास निवेदन करने आए हैं. आप राजा हैं और हम आपकी प्रजा. जब आप शिकार करने निकलते हैं, तो बहुत जानवर मार डालते हैं. आप सबको खा भी नहीं पाते. इस तरह से हमारी संख्या कम होती जा रही है. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो कुछ ही दिनों में जंगल में आपके सिवाय और कोई नहीं बचेगा. प्रजा के बिना राजा भी कैसे रह सकता है?

यदि हम सभी मर जाएंगे, तो आप भी राजा नहीं रहेंगे. हम चाहते हैं कि आप सदा हमारे राजा बने रहें. आपसे हमारी विनती है कि आप अपने घर पर ही रहा करें. हम हर रोज़ स्वयं आपके खाने के लिए एक जानवर भेज दिया करेंगे. इस तरह से राजा और प्रजा दोनो ही चैन से रह सकेंगे.” शेर को लगा कि जानवरों की बात में सच्चाई है.

उसने पलभर सोचा फिर बोला, “अच्छी बात है, मैं तुम्हारे सुझाव को मान लेता हूं, लेकिन याद रखना, अगर किसी भी दिन तुमने मेरे खाने के लिए पूरा भोजन नहीं भेजा, तो मैं जितने जानवर चाहूंगा, मार डालूंगा.” जानवरों के पास और कोई चारा तो था नहीं, इसलिए उन्होंने शेर की शर्त मान ली और अपने-अपने घर चले गए.

उस दिन से हर रोज़ शेर के खाने के लिये एक जानवर भेजा जाने लगा. इसके लिये जंगल में रहने वाले सब जानवरों में से एक-एक जानवर, बारी-बारी से चुना जाता था. कुछ दिन बाद खरगोशों की बारी भी आ गई. शेर के भोजन के लिए एक नन्हें से खरगोश को चुना गया. वह खरगोश जितना छोटा था, उतना ही चतुर भी था.

उसने सोचा, बेकार में शेर के हाथों मरना मूर्खता है. अपनी जान बचाने का कोई न कोई उपाय अवश्य करना चाहिए, और हो सके तो कोई ऐसी तरक़ीब ढूंढ़नी चाहिए जिससे सभी को इस मुसीबत से सदा के लिए छुटकारा मिल जाए. आख़िर उसने एक तरक़ीब सोच ही ली.

खरगोश धीरे-धीरे आराम से शेर के घर की ओर चल पड़ा. जब वह शेर के पास पहुंचा तो बहुत देर हो चुकी थी.भूख के मारे शेर का बुरा हाल हो रहा था. जब उसने स़िर्फ एक छोटे-से खरगोश को अपनी ओर आते देखा, तो ग़ुस्से से बौखला उठा और गरजकर बोला, “किसने तुम्हें भेजा है? एक तो पिद्दी जैसे हो, दूसरे इतनी देर से आ रहे हो. जिन बेवकूफों ने तुम्हें भेजा है मैं उन सबको ठीक करूंगा. एक-एक का काम तमाम न किया, तो मेरा नाम भी शेर नहीं.”

नन्हे खरगोश ने आदर से ज़मीन तक झुककर कहा, “महाराज, अगर आप कृपा करके मेरी बात सुन लें, तो मुझे या और जानवरों को दोष नहीं देंगे. वे तो जानते थे कि एक छोटा-सा खरगोश आपके भोजन के लिए पूरा नहीं पड़ेगा, इसलिए उन्होंने छह खरगोश भेजे थे, लेकिन रास्ते में हमें एक और शेर मिल गया. उसने पांच खरगोशों को मारकर खा लिया.”

यह सुनते ही शेर दहाड़कर बोला, “क्या कहा? दूसरा शेर? कौन है वह? तुमने उसे कहां देखा?”
“महाराज, वह तो बहुत ही बड़ा शेर है.” खरगोश ने कहा, “वह ज़मीन के अंदर बनी एक बड़ी गुफा में से निकला था. वह तो मुझे ही मारने जा रहा था. पर मैंने उससे कहा, सरकार, आपको पता नहीं कि आपने क्या अंधेर कर दिया है. हम सब अपने महाराज के भोजन के लिए जा रहे थे, लेकिन आपने उनका सारा खाना खा लिया है. हमारे महाराज ऐसी बातें सहन नहीं करेंगे. वे ज़रूर यहां आकर आपको मार डालेंगे.”

इसपर उसने पूछा, “कौन है तुम्हारा राजा?” मैंने जवाब दिया, “हमारा राजा जंगल का सबसे बड़ा शेर है.”
“महाराज, मेरे ऐसा कहते ही वह ग़ुस्से से लाल-पीला होकर बोला बेवकूफ इस जंगल का राजा स़िर्फ मैं हूं. यहां सब जानवर मेरी प्रजा हैं. मैं उनके साथ जैसा चाहूं वैसा कर सकता हूंं. जिस मूर्ख को तुम अपना राजा कहते हो उस चोर को मेरे सामने हाजिर करो. मैं उसे बताऊंगा कि असली राजा कौन है. महाराज इतना कहकर उस शेर ने आपको लिवाने के लिए मुझे यहां भेज दिया.”

खरगोश की बात सुनकर शेर को बड़ा ग़ुस्सा आया और वह बार-बार गरजने लगा. उसकी भयानक गरज से सारा जंगल दहलने लगा. “मुझे फौरन उस मूर्ख का पता बताओ.” शेर ने दहाड़कर कहा, “जब तक मैं उसे जान से नहीं मार दूंगा, मुझे चैन नहीं मिलेगा.” “बहुत अच्छा महाराज,” खरगोश ने कहा, “मौत ही उस दुष्ट की सज़ा है. अगर मैं और बड़ा और मज़बूत होता, तो मैं ख़ुद ही उसके टुकड़े-टुकड़े कर देता.”
“चलो, रास्ता दिखाओ” शेर ने कहा, “फौरन बताओ किधर चलना है?”

“इधर आइये महाराज, इधर,” खरगोश रास्ता दिखाते हुआ शेर को एक कुएं के पास ले गया और बोला, “महाराज, वह दुष्ट शेर ज़मीन के नीचे किले में रहता है. जरा सावधान रहिएगा. किले में छुपा दुश्मन ख़तरनाक होता है.”

“मैं उससे निपट लूंगा.” शेर ने कहा, “तुम यह बताओ कि वह है कहां?”

“पहले जब मैंने उसे देखा था तब तो वह यहीं बाहर खड़ा था. लगता है आपको आता देखकर वह किले में घुस गया है. आइए मैं आपको दिखाता हूं.”

खरगोश ने कुएं के नज़दीक आकर शेर से अंदर झांकने के लिए कहा. शेर ने कुएं के अंदर झांका, तो उसे कुएं के पानी में अपनी परछाईं दिखाई दी.

परछाईं को देखकर शेर ज़ोर से दहाड़ा. कुएं के अंदर से आती हुई अपनी ही दहाड़ने की गूंज सुनकर उसने समझा कि दूसरा शेर भी दहाड़ रहा है. दुश्मन को तुरंत मार डालने के इरादे से वह फौरन कुएं में कूद पड़ा.

कूदते ही पहले तो वह कुएं की दीवार से टकराया फिर धड़ाम से पानी में गिरा और डूबकर मर गया. इस तरह चतुराई से शेर से छुट्टी पाकर नन्हा खरगोश घर लौटा. उसने जंगल के जानवरों को शेर के मारे जाने की कहानी सुनाई. दुश्मन के मारे जाने की ख़बर से सारे जंगल में ख़ुशी फैल गई. जंगल के सभी जानवर खरगोश की जय-जयकार करने लगे.

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PANCHTANTRA KI 5 KAHANIYA IN HINDI

2- लोमड़ी और सरस कहानी – एक लोमड़ी एक सरस से मिलती है और उसे अपने तंग दिमाग की शिकायत करती है। सरस उसे अपनी बुद्धिमानी से अभिप्राय देती है और दोनों का अच्छा मित्रता होता है।

एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। उसके जीवन में खुशहाली थी। एक दिन उसे एक सारस ने देख लिया। सारस ने उसे जोर से हँसा दिया और कहा, “अरे लोमड़ी, तुम इतनी निराशा भरे जीवन में कैसे जीते हो? तुम जंगल की सबसे तेज दौड़ने वाली जानवर होने के बावजूद भी कभी भी शिकार नहीं कर पाती हो।”

लोमड़ी को सारस की ये बात अच्छी नहीं लगी। उसने सारस से कहा, “यह सच नहीं है। मैं बहुत धूर्त और चतुर हूँ और मैं हमेशा शिकार करने के लिए अपनी चालें चलती हूँ।”

सारस ने उसे चुनौती दी और कहा, “ठीक है, तो आओ मुझे अपनी चालें दिखाओ और मुझे दिखाओ कि तुम शिकार करने में कितनी धूर्त हो।”

लोमड़ी ने उसे चुनौती स्वीकार कर ली और उसे शिकार करने की चालें दिखाने लगी। लेकिन उसे कुछ भी शिकार नहीं मिला। इससे लोमड़ी बहुत निराश हो गई।

अगले दिन फिर से सारस आ गया और सारस ने लोमड़ी से पूछा, “क्या तुमने कोई शिकार किया?”

लोमड़ी ने उससे कहा, “नहीं, मैंने आज फिर से कोई शिकार नहीं किया।”

सारस ने उसे बताया, “देखो, तुम इतनी धूर्त और चतुर होने के बावजूद भी शिकार नहीं कर पाती हो। इसलिए, मैं तुमसे एक सीख दूंगा। जब तुम शिकार करने के लिए बाहर जाती हो, तो अपनी अच्छी चालें नहीं दिखाती। इससे शिकार अधिक सतर्क हो जाता है और वह तुमसे बच जाता है। इसलिए, तुम्हें सतर्क रहना चाहिए और उन जगहों पर जाना चाहिए जहाँ शिकार करने के लिए वास्तव में मौका होता है।”

लोमड़ी ने सारस के शब्दों को गंभीरता से सुना और उसे धन्यवाद दिया। उसने सारस से इस सीख को स्वीकार करते हुए उसके लिए आभार व्यक्त किया।

इस तरह से, लोमड़ी ने एक सारस से अपनी बुद्धि और धैर्य को बढ़ाने की सीख ली। इस कहानी से हम यह सीख प्राप्त करते हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें धैर्य और चतुराई की आवश्यकता होती है। धैर्य रखने से हम अपनी गलतियों से सीख सकते हैं और चतुराई रखने से हम समस्याओं को नए और अलग तरीकों से हल कर सकते हैं।

इस कहानी का मुख्य संदेश है कि हमें जीवन में सकारात्मक रहना चाहिए और हमेशा से सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए। जीवन में हमें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए और हमेशा से सकारात्मक सोचना चाहिए।

इस कहानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि हमें अपनी अच्छी चालें दिखाना चाहिए। इससे हम अपने लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम होते हैं और अपनी क्षमताओं को दूसरों के सामने प्रदर्शित कर सकते हैं।

यह कहानी लोमड़ी और सारस के बीच के संवाद के माध्यम से हमें सीख देती है। यह एक बहुत ही रोचक और शिक्षाप्रद कहानी है जो हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने की सीख देती है।

3- बंदर और मगरमच्छ कहानी – एक बंदर एक मगरमच्छ के साथ खेलता है और मगरमच्छ को उसकी नाक में बोली देता है कि वह बहुत बुद्धिमान है। बंदर को यह विश्वास हो जाता है और वह मगरमच्छ के साथ बाहर नहीं जाना चाहता है। फिर मगरमच्छ उसे उसकी बुद्धिमानी से ठग लेता है।

बंदर और मगरमच्छ की कहानी जब अंत तक पहुंचती है तो हमें एक बड़ा संदेश मिलता है। यह संदेश है कि हमें लोगों की बातों पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन हमें स्वयं भी सोचना चाहिए और अपना निर्णय लेना चाहिए। हमें जानना चाहिए कि लोग हमेशा सच नहीं बोलते और हमें खुद के लिए सोचना चाहिए।

इस कहानी से हमें एक और संदेश मिलता है कि हमें खुश रहना चाहिए और दूसरों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने चाहिए। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें दूसरों की मदद की आवश्यकता होती है और दूसरों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने से हमें उनसे सहयोग मिलता है।

इस कहानी में बंदर का स्वभाव बदल जाना बहुत दिलचस्प होता है। हमें यह दिखता है कि हमारा स्वभाव हमेशा उसी तरह नहीं रहता है, वरन वह बदल सकता है। हमें अपने स्वभाव को सभी परिस्थितियों में बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए और उसे सकारात्मक बनाए रखना चाहिए।

यह कहानी बंदर और मगरमच्छ के संबंध को बताती है। हमें यह दिखता है कि हमें अपनी आस पास की परिस्थितियों को समझना चाहिए और उनसे अपना फायदा उठाना चाहिए। हमें अपने दोस्तों और संबंधित लोगों को समझने की आवश्यकता होती है ताकि हम उनसे अपना फायदा उठा सकें।

इस कहानी से हमें एक और संदेश मिलता है कि हमें शत्रुओं को भी समझना चाहिए और उनसे अपना फायदा उठाना चाहिए। अक्सर हम शत्रुओं से बचने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम शत्रुओं के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश कर सकते हैं और उनसे अपना फायदा उठा सकते हैं।

इस कहानी से हमें एक और संदेश मिलता है कि हमें शांति और सौहार्द के साथ रहना चाहिए। यदि हम दूसरों के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ते बनाए रखते हैं, तो हमें अधिक समाधान और सुख मिलता है।

इस कहानी से हमें एक और संदेश मिलता है कि हमें दूसरों के साथ धोखा नहीं देना चाहिए। यदि हम दूसरों के साथ धोखा देते हैं, तो हमारा अपमान होता है और दूसरे लोग हमें दोषी मानते हैं। इसलिए हमें दूसरों के साथ सत्य और ईमानदारी से रहना चाहिए।

यह कहानी बच्चों को भी बहुत पसंद आती है क्योंकि इसमें जानवरों के बीच एक रोमांटिक किस्सा होता है। इसके अलावा, इस कहानी से हमें बहुत सारे संदेश मिलते हैं जो हमें अपनी ज़िन्दगी में उपयोगी साबित हो सकते हैं।

आखिरी में, इस कहानी से हमें एक और महत्वपूर्ण संदेश मिलता है कि हमें अपनी समझदारी का प्रयोग करना चाहिए। हमें अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए और अपने दिमाग का प्रयोग करना चाहिए ताकि हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें।

यह थी “बंदर और मगरमच्छ” की कहानी, जो हमें कई जीवन संबंधित संदेशों से परिपूर्ण होती है।उम्मीद है कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी और इससे आपने कुछ नया सीखा होगा। जीवन में धैर्य और संतुलन रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है ताकि हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें। इसके अलावा, हमें हमेशा दूसरों के साथ सही तरीके से व्यवहार करना चाहिए ताकि हमारे साथ और दूसरों के साथ भी अच्छा व्यवहार हो।

PANCHTANTRA KI 5 KAHANIYA IN HINDI
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4- अखरोट का पेड़ कहानी – एक अखरोट का पेड़ होता है जो अपने ऊपर से गिरते हुए अखरोटों को बचाता है। एक सिंह जो उस पेड़ के पास रहता है, उसे अपनी बुद्धिमानी से इस बात का फायदा उठाता है और पेड़ को काट देने का सोचता है। लेकिन पेड़ की बुद्धिमानी से वह सिंहासन पर बैठता है।

अखरोट का पेड़ कहानी के अंत में, वह शिकारी आखिरकार तबाह हो गया जब उसने पेड़ के साथ जोर लगाने के बाद उस पर चढ़कर अखरोटों को तोड़ने की कोशिश की। पर पेड़ ने उसे अपने बंदरों से बचाने के लिए उसकी मदद की और शिकारी अंत में चढ़ाई से गिरकर जख्मी हो गया।

यह कहानी हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और उसका संरक्षण करना चाहिए। हमें प्रकृति के साथ अच्छे संबंध रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि यह हमारे अस्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे हमें एक दूसरे के साथ भी अच्छे संबंध रखना चाहिए ताकि हम एक स्थिर और समृद्ध समाज बना सकें।

इस कहानी से हमें एक और संदेश भी मिलता है कि हमें जीवन में हमेशा धैर्य रखना चाहिए। धैर्य रखने से हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों के लिए दृढ़ता से काम कर सकते हैं।

आखिर में, यह कहानी हमें बताती है कि हमें अपने समाज के सदस्यों के साथ सहयोग करना चाहिए। हम एक दूसरे की मदद करने और उनकी समस्याओं को हल करने में सक्षम होने की कोशिश करना चाहिए। इससे हम समाज के लिए अधिक सकारात्मक परिणाम हासिल कर सकते हैं और समाज को समृद्ध बनाने में सहायता कर सकते हैं।

इस प्रकार, अखरोट का पेड़ कहानी एक जीवन से संबंधित कहानी है जो हमें प्रकृति और समाज संबंधित संदेशों के साथ धैर्य, सहयोग और समझदारी के बारे में सिखाती है।

5- सोने का हाथी कहानी – एक राजा एक हाथी को तोहफे के रूप में सोने के हाथ देता है। हाथी लोगों से सोने के हाथ छुपाने के लिए कहता है, लेकिन एक मुर्ख शिकारी हाथी को ढूंढ निकलता है और उसके हाथ को काट लेता है। हाथी फिर से राजा के पास जाता है और उसे अपनी बुद्धिमानी से सोने के हाथ को छुपाने की सलाह देता है। राजा उसे अपने पास रखता है और वहाँ देखता है कि बहुत से लोग उसे देखने के लिए आ रहे हैं। फिर राजा उसे बचाने के लिए उसे दूसरे हाथियों के साथ रखता है।

जब राजा ने देखा कि सभी लोग घमंड से भरे हुए हैं, तब उन्होंने अपने शिकारी और अन्य सहायकों से सोने का हाथी को पकड़ने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने हाथी को ले जाकर अपने दरबार में लाया और उसे अपने वश में कर लिया।

दरबार में, राजा ने हाथी के साथ बहुत सारे खेल खेले जैसे कि हाथी को घुमाना, उसके सर पर सवारी करना और उसे दौड़ाना इत्यादि। इन सभी खेलों में, राजा को हाथी को अपने वश में रखने के लिए उसे बहुत समझदारी और अनुशासन से बांधना पड़ा।

एक दिन, एक विदेशी व्यापारी राजा के दरबार में आया और उसने हाथी को देखा। उसे हाथी के साथ खेलने का मन हुआ और उसने राजा से इसकी अनुमति मांगी। राजा ने उसे इसकी अनुमति दे दी, लेकिन उसने उस हाथी को बहुत ज़ोर से मुक्त किया जिससे हाथी दुखी हो गया।

इससे पहले कि राजा कुछ कर सके, हाथी ने अपने शिकारी को धकेला और उसे जमीन पर पीटने लगा। फिर वह दरबार में बरपात हो गया और बाद में राजा ने अन्य शिकारी और सहायकों को हाथी को रोकने के लिए बुलाया, लेकिन हाथी अभी भी बहुत गुस्से में था और उसे कोई नहीं रोक सका। अंततः, राजा ने एक समझदार लोगों को भेजकर हाथी को शांत करने के लिए कहा।

ये लोग हाथी के पास गए और उसे चुपचाप बैठे रहने के लिए कहा। फिर उन्होंने हाथी के कान में कुछ बोला जिससे हाथी को शांति मिली। उसके बाद से, हाथी राजा के लिए फिर से उसी पुराने आदर और सम्मान के साथ खड़ा हो गया।

यह कहानी हमें यह सीख देती है कि समझदार और विवेकी लोग हमेशा अपने दोस्तों के साथ सम्मानपूर्वक बर्ताव करें और अनुशासन में रहें।

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