TULSI VIVAH KAHANI IN HINDI (विष्णु ने तुलसी से शादी क्यों की?)

By Shweta Soni

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नमस्कार दोस्तों,

मेरा नाम श्वेता है और में हमारे वेबसाइट के मदत से आप के लिए एक नयी तुलसी विवाह कहानी लेके आई हु और ऐसी अच्छी अच्छी कहानिया लेके आते रहती हु। वैसे आज मै तुलसी विवाह कहानी और विष्णु ने तुलसी से शादी क्यों की? की कहानी लेके आई हु कहानी को पढ़े आप सब को बहुत आनंद आएगा |

तुलसी विवाह की कहानी हिंदी में इस प्रकार है:

एक समय की बात है, देवताओं ने पृथ्वी पर असुरों की विनाशकारी शक्ति को रोकने के लिए तुलसी की रचना की थी। तुलसी बहुत ही सुंदर थी और उसकी खुशबू भी अत्यंत मधुर थी। जब उसे देखा जाता तो सभी देवताओं के मन में उसके प्रति लगाव उत्पन्न होता था। इसी कारण से भगवान विष्णु ने तुलसी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।

तुलसी का विवाह भगवान शंकर जी के साथ हुआ था। लेकिन शंकर जी की पत्नी पार्वती ने तुलसी के रूप में आनंद नहीं लिया था और उसने अपने पति से कहा कि तुलसी जैसी सुंदर और दिव्य वस्तु को आपने अपनी पत्नी के रूप में क्यों बनाया है? शंकर जी ने इसे सुनकर खेद और दुखी होते हुए तुलसी को पत्नी के रूप से नहीं माना।

तुलसी का पति विष्णु ने इसे अपने बाहों में लिया और इसके लिए उसे आज से हर साल तुलसी विवाह का त्योहार मनाने के लिए कहा था। इस त्योहार में भगवान विष्णु के इस त्योहार में भगवान विष्णु के मंदिरों में तुलसी की पूजा की जाती है और तुलसी के पौधे को दीपावली के बाद घरों में लगाया जाता है।

तुलसी विवाह का त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने से मान्यता है कि तुलसी का पति भगवान विष्णु उन लोगों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं जो इस त्योहार को मनाते हैं।

इस त्योहार के दौरान लोग तुलसी की पूजा करते हैं और उसे अपने घरों में लगाते हैं। इसके अलावा इस त्योहार के दौरान वेद, पुराण आदि के पाठ होते हैं और लोग तुलसी की महिमा का गुणगान करते हैं।

इस त्योहार को मनाने से लोगों को धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस त्योहार के द्वारा लोग अपने अच्छे कर्मों के लिए दुआएं मांगते हैं और अपनी जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

इसी तरह तुलसी विवाह की कहानी आज भी लोगों के द्वारा याद की जाती है और इस त्योहार को मनाने से लोग अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव करते हैं।

यह थी तुलसी विवाह की कहानी जो कि हमारी संस्कृति और धर्म की महत्वपूर्ण कहानियों में से एक है। इस त्योहार को मनाकर हम अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं।

इस त्योहार को मनाने से हमें अपनी संस्कृति और धर्म के बारे में जानने का भी मौका मिलता है। इस त्योहार का महत्व हमारी संस्कृति और धर्म में गहरी जड़ें होती हैं जो हमें हमारे अभिव्यक्ति और अपने जीवन के लिए सही राह दिखाती हैं।

इस त्योहार का अर्थ यह भी है कि अच्छे कर्म हमेशा फल देते हैं और तुलसी के पति भगवान विष्णु हमेशा अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

इसी तरह तुलसी विवाह त्योहार हमारी संस्कृति और धर्म की महत्वपूर्ण कहानियों में से एक है जो हमें अपने जीवन में आनंद, समृद्धि और शांति का अनुभव करने का मौका देता है।

इस त्योहार को मनाने के लिए लोग तुलसी के पौधे को सजाते हैं और उसे तुलसी विवाह के रूप में भगवान विष्णु की पत्नी माता तुलसी से विवाह कराते हैं। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

तुलसी के पौधे का महत्व हमारी संस्कृति में बहुत अधिक है। तुलसी को सबसे पवित्र माना जाता है और इसे घर में लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। इसके अलावा तुलसी का पौधा रोगों से लड़ने में भी मददगार होता है।

इस त्योहार का महत्व अधिक होता है उन लोगों के लिए जो धार्मिक भावनाओं से जुड़े हुए हैं और अपने जीवन में आनंद, समृद्धि और शांति का अनुभव करना चाहते हैं। इस त्योहार को मनाने से लोग अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और दुःखों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।

इस त्योहार को मनाने के लिए लोग अपने घर में तुलसी के पौधे को सजाते हैं। इस दिन लोग तुलसी विवाह की पूजा करते हैं और उसे भगवान विष्णु की पत्नी माता तुलसी से विवाह कराते हैं। इस पूजा में दीपक, फूल और नैवेद्य भी चढ़ाए जाते हैं।

इस दिन व्रत रखने से लोगों को शांति, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। इस दिन को मनाने से लोगों के मन में शांति की भावना उमड़ जाती है और उनके जीवन में समृद्धि आती है। इसके अलावा, तुलसी विवाह का महत्व धर्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत अधिक होता है।

इस त्योहार को मनाने से लोग अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और भगवान के आशीर्वाद से अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं। इस दिन को मनाकर लोग अपने आप में आनंद और सुख का अनुभव करते हैं और अपनी आत्मा को शुद्ध करते हुए धर्म के मार्ग पर चलते हैं।

TULSI VIVAH KAHANI IN HINDI (विष्णु ने तुलसी से शादी क्यों की?)
TULSI VIVAH KAHANI IN HINDI (विष्णु ने तुलसी से शादी क्यों की?)

इस त्योहार का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत उच्च माना जाता है। तुलसी विवाह की कहानी अधिकतर हिंदू धर्म के अनुयायी जानते हैं।

कहते हैं कि पुरातन समय में एक राजा नाम के व्यक्ति था, जो बहुत ही सामान्य व्यक्ति था। उसके जीवन में कुछ ना कुछ कमी थी जिसे उसने हमेशा खाली रखा था। वह अपने गुरु से मिलने गया तो उसे बताया गया कि उसकी दुःखी स्थिति का कारण उसकी अपनी आत्मा में ही है। उसे बताया गया कि वह एक तुलसी के पौधे को लगाकर उसकी ज्योति से विवाह करें और उससे आत्मा को शुद्ध करें।

राजा ने अपने गुरु की बात मानी और उसने तुलसी के पौधे को लगाने के लिए अपने घर के सामने एक खूबसूरत स्थान तैयार करवाया। वहां पर तुलसी के पौधे को रखा गया और उसका सम्मान करने के लिए उसके आस-पास भी अन्य पौधे लगाए गए।

कुछ समय बाद, तुलसी के पौधे से एक बहुत ही सुंदर और रमणीय विष्णु जी का मूर्ति निकला। उसने तुलसी के पौधे के साथ विवाह किया। विवाह के बाद से, तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी माना जाता है।

तुलसी विवाह का त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन लोग तुलसी के पौधे की पूजा करते हैं और उसकी प्रतिमा की स्थापना करते हैं। विवाह के बाद, तुलसी के पौधे को उपवास के दिनों में अवश्य सेवन करना चाहिए।

तुलसी का पौधा हमारी प्राकृतिक औषधि है जो कई रोगों में लाभकारी होता है। इसके अलावा, तुलसी धर्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। तुलसी विवाह के अवसर पर इसे याद करना और उसका सम्मान करना धर्म के नियमों के अनुसार एक महत्वपूर्ण कार्य है।

तुलसी विवाह के अलावा, इस दिन धार्मिक विश्वास के अनुसार कुछ और अनुष्ठान भी किए जाते हैं। उत्तर भारत में, इस दिन तुलसी के पत्रों से बनाई गई तोरण घरों में लगाए जाते हैं। उन्हें दीपकों से सजाकर तुलसी के दर्शन किए जाते हैं। कुछ लोग इस दिन तुलसी की प्रतिमा के सामने जल चढ़ाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। वे भगवान विष्णु के ध्यान में मंत्र जपते हैं और अन्न दान करते हैं।

दक्षिण भारत में, तुलसी विवाह का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन, महिलाएं रंगों से सजी तुलसी की प्रतिमा की सजावट करती हैं। वे उसे फूलों से सजाती हैं और उसे बहुत सारे भोजन सामग्री से सजाकर भगवान विष्णु के साथ विवाह कराती हैं।

तुलसी विवाह का त्योहार हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है और इसे अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए। इस दिन कुछ लोग तुलसी के पौधे को अपने घर में लगाते हैं ताकि उन्हें समस्याओं से छुटकारा मिले और धन, सुख और समृद्धि प्राप्त हो। इस तरह, तुलसी विवाह का त्योहार हमें शुभ और समृद्धि की आशा देता है।

इस तरह, तुलसी विवाह हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमें आदर्श जीवन जीने के लिए उपदेश देता है। यह हमें याद दिलाता है कि हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए और तुलसी जैसे पौधे हमारी जिंदगी में कितना महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

इस त्योहार के महत्व को समझते हुए, हमें अपनी संस्कृति और धर्म के मूल्यों का सम्मान करना चाहिए। इस तरह, तुलसी विवाह हमें एक साथ रहकर जीवन के सार्थक मार्ग का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।

विष्णु ने तुलसी से शादी क्यों की?

हिंदू मिथकों और पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु ने तुलसी से शादी इसलिए की थी क्योंकि उन्हें तुलसी के उपासकों का प्यार बहुत प्रिय था। इसके अलावा, तुलसी को देवी का रूप माना जाता है जो भगवान विष्णु की प्रिय भक्त थी।

कुछ मान्यताओं के अनुसार, एक बार तुलसी ने भगवान विष्णु की प्रतिमा की ओर अपना मुख किया था जिससे उनकी शाखाओं में खून नहीं पहुंचा था। भगवान विष्णु ने इसे देखा और तुलसी को आशीर्वाद दिया कि वह उन्हें अपनी पत्नी बनाएगी। तब से भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी का पौधा उपयोग में आने लगा और वह धर्म, भक्ति और प्रेम की प्रतीक बन गया।

इसी तरह, तुलसी के पौधे के महत्व को समझते हुए, हमें उनकी रक्षा करनी चाहिए और उनकी पूजा करते हुए उनसे संबंधित उपायों का अनुसरण करना चाहिए ताकि हमें सुख, समृद्धि और शुभकामनाएं प्राप्त हों।

तुलसी को देवी का रूप माना जाता है जो भगवान विष्णु की प्रिय भक्त थी। भगवान विष्णु के इस विवाह के अवसर पर लोग अपने घरों में तुलसी के पौधे को सजाते हैं और इस विवाह की कहानी को याद करते हुए उनकी पूजा करते हैं।

तुलसी विवाह को धार्मिक त्यौहार के रूप में मनाने के साथ-साथ, इसे भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पारंपरिक त्यौहार भी माना जाता है। यह उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है जहां लोग तुलसी के पौधे को घर के मुख्य द्वार या मंदिर में सजाते हैं और इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के भोजन तैयार करते हैं।

इस रूप में, तुलसी विवाह हमें अपनी संस्कृति और धर्म के मूल्यों का सम्मान करना सिखाता है और हमें एक साथ रहकर जीवन के सार्थक मार्ग का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।

विष्णु और तुलसी की शादी की कहानी के अनुसार, तुलसी रानी एक पतिव्रता और भगवान विष्णु की प्रिय भक्त थीं। उनकी भक्ति और त्याग ने भगवान विष्णु को उनकी प्रेम की अहमियत समझने में मदद की थी।

कहते हैं कि एक बार तुलसी रानी ने भगवान विष्णु की तपस्या में सम्मिलित होने का फैसला किया। विष्णु जी ने उनके इस निश्चय का ज्ञान प्राप्त कर उनसे इच्छा-मतलब की वृत्ति जानने का प्रश्न किया।

तुलसी रानी ने उत्तर दिया कि वह उनसे शादी करना चाहती हैं। इस से पहले भगवान विष्णु जी ने अपनी शरीरिक रूप में तुलसी रानी के सामने प्रकट हो गए थे। तुलसी रानी ने उनसे पुष्पमाला बांधने की इच्छा जताई।

तुलसी रानी की यह इच्छा उनकी पतिव्रता और उनके प्रेम का परिणाम थी। इसलिए, भगवान विष्णु जी ने उनसे शादी करने का फैसला किया और उनकी इच्छा पूरी की। इस तरह, तुलसी रानी ने अपने पतिव्रता और प्रेम के माध्यम से भगवान विष्णु को प्रसन्न किया और इसी रूप में, तुलसी विवाह के दिन भगवान विष्णु के अलावा तुलसी के पूजारी भी उनकी विवाह समारोह में उपस्थित होते हैं। यह त्योहार हिंदू धर्म में बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है।

तुलसी विवाह अक्टूबर या नवंबर के महीनों में मनाया जाता है और इस दिन तुलसी के पौधे को दिया जाता है। इस त्योहार के अवसर पर हिंदू लोग उनकी प्रेम की कहानी को याद करते हुए, भगवान विष्णु की भक्ति करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

इस रूप में, तुलसी विवाह का महत्व और महात्म्य बहुत ही ऊंचा है। यह त्योहार हमें तुलसी रानी की पतिव्रता और भगवान विष्णु के प्रेम के महत्व को समझाता है।

TULSI VIVAH KAHANI IN HINDI (विष्णु ने तुलसी से शादी क्यों की?)
TULSI VIVAH KAHANI IN HINDI (विष्णु ने तुलसी से शादी क्यों की?)

इस त्योहार के दौरान, भगवान विष्णु के भक्त उन्हें अपने घर में विवाह में बुलाते हैं और अपने पूजा स्थल में तुलसी के पौधे को उनसे विवाह करवाते हैं। इस तरह से, तुलसी की शोभा और महिमा बढ़ाते हुए, हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की महत्ता को दर्शाते हैं।

इस त्योहार के दौरान, हिंदू लोग बड़े उत्साह से दुकानों को सजाते हैं और उसमें भगवान विष्णु और तुलसी के मूर्ति रखते हैं। इसके अलावा, वैदिक मंत्रों का पाठ और भजन किए जाते हैं जो तुलसी की पूजा करते हुए भगवान विष्णु को अर्पित किए जाते हैं।

इस त्योहार का महत्व हिंदू धर्म में बहुत ऊंचा है। यह त्योहार हमें प्रेम और पतिव्रता का महत्त्व समझाता है और इससे हमारी संस्कृति और विरासत में नई ऊंचाइयों को हासिल करने का मौका मिलता है।

इस त्योहार के अलावा, तुलसी के पौधे के लाभ भी अनेक होते हैं। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो कि बीमारियों के इलाज में मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा, तुलसी की पत्तियों में विटामिन ए, सी, डी और कैल्शियम और आयरन जैसे विटामिन और खनिजों की भरपूर मात्रा होती है।

तुलसी के पत्तों को चबाने या उनका काढ़ा पीने से जुकाम, खांसी, बुखार और गले की समस्याओं में लाभ होता है। इसके अलावा, तुलसी के पत्तों को तेल में भूनकर शरीर के जोड़ों पर मालिश करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तुलसी की जड़ और तने भी कई बीमारियों के इलाज में उपयोगी होते हैं।

इस तरह से, तुलसी विवाह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो धर्म, संस्कृति और वैदिक विरासत को बचाए रखते हुए हमें अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति जागरूक बनाता है।

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