हेलो दोस्तों जय श्री राम ,
दोस्तों मेरा नाम श्वेता है आज मै आप सभी के लिए बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां हिंदू धर्म के दो वेदों में से एक यानी वेद व्यास के निर्माण की गई महाभारत की कथा से जुड़ा हुआ है। इस स्थान की ख़ासियत यह है कि यह तीर्थ स्थल बर्फीले पर्वतों के बीच में स्थित है। इसलिए इसे प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है। यहाँ के मंदिर में भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनाथ की मूर्ति स्थापित है।
यह स्थान हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है जिसे यात्रियों के द्वारा बहुत धूम-धाम से दर्शन किया जाता है।बद्रीनाथ धाम का नाम भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनाथ से प्राप्त हुआ है। कहते हैं कि यहाँ पर भगवान विष्णु ने तपस्या की थी और यहाँ पर वे आध्यात्मिकता को प्राप्त हुए थे। इसीलिए बद्रीनाथ धाम को हिंदू धर्म के अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।
बद्रीनाथ धाम में एक बड़ा मंदिर है जिसे संतों ने विकसित किया था। इस मंदिर की नींव 8वीं सदी में रखी गई थी। मंदिर में भगवान विष्णु के एक अलग रूप बद्रीनाथ की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के समीप ही होता है तपोवन जहाँ वेद व्यास ने भगवान विष्णु के नाम पर तपस्या की थी। आप सभी को ये कहानी अच्छी लगेगी क्योकि आप सभी को यह कहानी के रहस्य जान कर हैरान हो जायेगे, तो एक बार यह कहानी जरूर पढ़े धन्यवाद।
बद्रीनाथ की क्या महिमा है?
बद्रीनाथ की महिमा अत्यंत उच्च है। हिंदू धर्म में बद्रीनाथ धाम को चार धामों में से एक माना जाता है। यह धाम बद्रीनाथ नदी के किनारे स्थित है और यहां भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनाथ की पूजा की जाती है। बद्रीनाथ के मंदिर की नींव 8वीं सदी में रखी गई थी। इस मंदिर का निर्माण संतों ने किया था।
बद्रीनाथ धाम को यात्रियों के बीच अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक स्थल माना जाता है। यहां आने वाले लोगों के मन को शांति और तृप्ति मिलती है। बद्रीनाथ धाम की यात्रा उत्तराखंड में बहुत ही लोकप्रिय है। इस धाम में आने वाले यात्री अपनी आत्मा को शुद्ध करते हुए अपने गुनाहों से मुक्त होते हैं।
बद्रीनाथ धाम के समीप एक तपोवन है जहां वेद व्यास ने भगवान विष्णु के नाम पर तपस्या की थी। इस तपोवन में श्रद्धालु लोगों को अपने आपको ध्यान में लगाने की शक्ति मिलती है। बद्रीनाथ धाम का दर्शन करने से लोगों के जीवन में धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिकता की भावनाएं उभरती हैं।
बद्रीनाथ धाम में हर साल बहुत से त्योहार मनाए जाते हैं। जैसे कि माघ मेला, महाशिवरात्रि और श्रावण मास में किया जाने वाला कावड़ यात्रा। यहां आने वाले श्रद्धालु लोग भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने के साथ-साथ इस महान स्थल के साथ-साथ उसकी प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद लेते हैं।
बद्रीनाथ धाम के समीप जगह-जगह होने वाले सुंदर झरनों, गुफाओं, उद्यानों और पहाड़ों का नजारा बहुत खूबसूरत होता है। यहां आने वाले लोग अपने जीवन में एक नयी ऊर्जा का एहसास करते हैं और संतुलन बनाए रखने के लिए योग और ध्यान के प्रयोग से फायदा उठाते हैं।
इस प्रकार, बद्रीनाथ धाम एक ऐसा स्थान है जो हमारी संस्कृति, धर्म और आध्यात्मिकता की महिमा को दर्शाता है। इस स्थल का दर्शन करने से हमारी आत्मा शुद्ध होती है और हमें अपने जीवन में नई ऊर्जा का अनुभव मिलता है।

बद्रीनाथ धाम के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं |
बद्रीनाथ धाम के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं जो इस स्थान की महिमा को बढ़ाती हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हैं:
- आदि शंकराचार्य द्वारा मंदिर का निर्माण: बद्रीनाथ धाम का उल्लेख आदि शंकराचार्य द्वारा लिखित ग्रंथों में मिलता है। उन्होंने इस स्थान पर भगवान विष्णु के मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था।
- मध्यकालीन इतिहास: मध्यकाल में बद्रीनाथ धाम को छोटे-छोटे मंदिरों का समूह माना जाता था। यहां कई संतों और महात्माओं का भी वास था जो अपने धर्म और जीवनशैली के संबंध में लोगों को शिक्षा देते थे।
- बद्रीनाथ धाम का महत्व: बद्रीनाथ धाम को भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व दिया जाता है। इस स्थान का नाम भगवान विष्णु के 8 दिव्य स्थानों में से एक है। यहां श्रद्धालु लोग अपने पूर्वजों की तरह भगवान विष्णु के दर्शन करते हैं और उनसे आशीरवाद लेते हैं। बद्रीनाथ धाम को भारत का धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है।
- अखण्ड ज्योति: बद्रीनाथ धाम के मंदिर में अखण्ड ज्योति जला रहती है। यह ज्योति अन्य तीर्थ स्थलों से भी अलग है जहां ज्योति विशेष अवस्था में जलती है। यह ज्योति बद्रीनाथ धाम के मंदिर के गर्भगृह में स्थित है और इसे अपने पूजन के लिए लोग यहां आते हैं।
- अखण्ड गंगा: बद्रीनाथ धाम से निकलने वाली गंगा को अखण्ड गंगा कहा जाता है। इसे भी बहुत महत्व दिया जाता है और इसे नमन किया जाता है।
- बद्रीनाथ धाम के राजकुमारों का भ्रमण: राजकुमारों का भ्रमण भारत के ऐतिहासिक संस्थानों में से एक था। बद्रीनाथ धाम भी उन स्थानों में से एक था जहां राजकुमार जाते थे। उन्हें यहां भगवान विष्णु के दर्शन करने का मौका मिलता था और इससे उन्हें धर्म और आध्यात्मिकता से जुड़ी शिक्षा मिलती थी।
- बद्रीनाथ धाम के मंदिर का निर्माण: बद्रीनाथ धाम के मंदिर का निर्माण शंकराचार्य ने करवाया था। यह मंदिर मूल रूप से 9वीं शताब्दी में बना था, लेकिन बार-बार अपडेट किया जाता रहा है।
- अखण्ड ज्योति का इतिहास: अखण्ड ज्योति के बारे में कई कहानियां हैं। एक कहानी के अनुसार, भगवान विष्णु ने शंकराचार्य को उनके दर्शन के लिए बुलाया था। शंकराचार्य ने जब मंदिर में ज्योति जलाने के लिए दीपक की तलाश की तो वह अपनी तलवार से इसे जलाकर अखण्ड ज्योति बना दी।
- बद्रीनाथ धाम का महत्व: बद्रीनाथ धाम को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है। इसे चार धामों में से एक माना जाता है और यह भारत की आध्यात्मिक और धार्मिक धरोहर है।
- बद्रीनाथ धाम की महिमा: बद्रीनाथ धाम की महिमा असीम है। यहां भगवान विष्णु के दर्शन करने से न केवल मनुष्य को शांति मिलती है, बल्कि उसके पाप भी नष्ट हो जाते हैं। बद्रीनाथ धाम में अखंड ज्योति का प्रकाशन, विष्णु पूजा, वेदों का पाठ, पुष्पांजलि और दीपदान आदि के रूप में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।
इस प्रकार बद्रीनाथ धाम के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं जो इस स्थान को आज भी बहुत महत्वपूर्ण बनाती हैं।
बद्रीनाथ मंदिर का रहस्य क्या है?
बद्रीनाथ मंदिर का रहस्य कुछ ऐसे हैं जो आज तक लोगों के सामने स्पष्ट नहीं हुए हैं। इस मंदिर की विशेषताओं में इसकी वास्तुशिल्प और वैदिक संस्कृति से जुड़े कुछ रहस्य दिए जाते हैं।
- मूर्ति के रहस्य: बद्रीनाथ मंदिर में विराजमान मूर्ति की असली उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण वेदों के महापुरुषों द्वारा किया गया था और यह अवतार हैं।
- वास्तुशिल्प के रहस्य: बद्रीनाथ मंदिर वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके विभिन्न भागों में आकृति और ज्योतिर्मयी विशेषताओं के साथ संदृश्य और असंदृश्य अंश हैं जो इस मंदिर को अनूठा बनाते हैं।
- मंदिर की विशेषता: बद्रीनाथ मंदिर के अंदर की स्थापत्य कला व वास्तुशास्त्र का अद्भुत समन्वय है। इसकी आकृतियों, बनावटों और विस्तृत विवरणों को देखकर स्पष्ट होता है कि यह मंदिर बहुत ही विशिष्ट है। इसका महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे भगवान विष्णु के चार धामों में एक माना जाता है।
- ताप कुंड का रहस्य: बद्रीनाथ मंदिर के पास ताप कुंड नाम का एक झील है जिसे उपवास करने वाले श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस झील का पानी गर्म होता है और इसे श्रद्धालुओं को तीर्थ स्नान कराने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसका रहस्य यह है कि इसके पानी में ताप उत्पन्न होता है जिसे वैज्ञानिक रूप से नहीं समझा जा सकता।
- रत्न बंधार का रहस्य: बद्रीनाथ मंदिर में रत्न बंधार नाम का एक कमरा है जो मंदिर की अंतिम सीमा में स्थित है। इस कमरे के अंदर कुछ चमकदार पत्थर रखे जाते हैं जो अत्यंत मूल्यवान होते हैं। इस कमरे के रहस्य को लेकर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं जो अभी तक उनके जवाब नहीं मिले हैं।
इन सभी रहस्यों के अलावा बद्रीनाथ मंदिर की विभिन्न विशेषताओं में भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ संबंधित कुछ और महत्वपूर्ण बातें हैं। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- बद्रीनाथ मंदिर की मूर्ति का रहस्य: बद्रीनाथ मंदिर की मूर्ति भगवान विष्णु के उत्तरी विष्णुरूप को दर्शाती है। इस मूर्ति को बनाने के लिए शिल्पकारों ने स्थानीय लोगों की सहायता ली थी। मूर्ति के वजन को कम करने के लिए शिल्पकारों ने मूर्ति के अंदर खोखलापन छोड़ा था।
- नालदमयंती उत्सव का रहस्य: बद्रीनाथ मंदिर में नालदमयंती उत्सव महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों में से एक है। यह उत्सव बद्रीनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के आगमन का अवसर होता है। इस उत्सव के दौरान मंदिर की मूर्ति को चारों तरफ से पानी छिड़का जाता है।
- आरती का रहस्य: बद्रीनाथ मंदिर में हर दिन भगवान की आरती की जाती है। इस आरती को जलाने के लिए प्रयोग में आने वाली दीये भगवान के संदेशवाहक माने जाते हैं। आरती में उपयोग किए जाने वाले दीयों को खड़े वृक्षों से बनाए जाते हैं जो प्राकृतिक रूप से पूरी तरह से विघटित हो जाते हैं। इस आरती में प्रयोग में आने वाले घी की मशीन उपयोग की जाती है जो दोहन करते समय धुआँ नहीं उत्पन्न करती है। इस तरह से, इस आरती में उपयोग किए जाने वाले सभी वस्तुएं शुद्ध और प्राकृतिक होती हैं।
- मंदिर की वास्तुशास्त्र: बद्रीनाथ मंदिर की वास्तुशास्त्र विश्व की विख्यात वास्तुशास्त्र के अद्भुत उदाहरणों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण शिल्पकला, वास्तुकला और धार्मिक तत्वों के उच्च स्तर को दर्शाता है। मंदिर की दीवारें राजस्थान के जैसलमेर से आए पत्थरों से बनी हैं जो कि बद्रीनाथ तक ले जाना बेहद कठिन था।
- गरुड़ की स्थानीय नायिका: बद्रीनाथ मंदिर के सामने स्थित गरुड़ स्तंभ पर एक स्थानीय नायिका की मूर्ति भी स्थापित है। इस मूर्ति की संख्या बद्रीनाथ मंदिर की मूर्ति के समान है और यह स्थानीय नयिका की महत्ता को दर्शाता है। इस मूर्ति के संदर्भ में अनेक लोक कथाएं हैं जो कि उस जगह के इतिहास से जुड़ी हुई हैं।
ग्रन्थों में वर्णन 6 महीने के लिए क्यों बंद है?
द्रीनाथ मंदिर का बंद हो जाना, संगीत के रूप में सभी आराधकों के लिए उदासीनता का कारण बन गया। बद्रीनाथ मंदिर विभिन्न वेद, पुराण और अन्य पुस्तकों में वर्णित है, जिनमें इसके बंद हो जाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कारण दिए गए हैं।अनुसार, बद्रीनाथ मंदिर का चार माह का समयावधि काफी ठंडा होता है जिससे मंदिर बंद रहता है। यह मौसम समाप्त होने के बाद साल के शेष दिनों के लिए फिर से खुलता है। इस समय में मंदिर की मूर्तियों की देखभाल भी की जाती है।
इसके अलावा, बद्रीनाथ मंदिर का बंद हो जाना उस समय से जुड़ा हुआ है जब बद्रीनाथ मंदिर के आसपास अस्थायी ठेकेदारों द्वारा घोटाले के आरोपों की जांच के दौरान मंदिर को बंद करने का फैसला लिया गया था। इससे पहले भी कुछ बार ऐसा हुआ था जब मंदिर की देखभाल करने वाले ठेकेदारों के बीच विवाद हुआ था जिससे मंदिर का बंद हो जाना पड़ा था।
अंततः, सरकार ने स्थानीय संघर्षों के बाद बद्रीनाथ मंदिर की देखभाल को सीधे राज्य सरकार के अधीन कर दिया गया था। इसके बाद से बद्रीनाथ मंदिर के बंद होने की समस्या नहीं उत्पन्न हुई। आज बद्रीनाथ मंदिर देश और विदेश से लाखों आराधकों को आकर्षित करता है और अपनी अनोखी वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
बद्रीनाथ मंदिर को साल के 6 महीने के लिए बंद करने का तथ्य अब उत्तराखंड सरकार द्वारा खंडित कर दिया गया है। अब मंदिर साल भर खुला रहता है और श्रद्धालु यात्री दैनिक पूजा-अर्चना कर सकते हैं।बताया जाता है कि इस मंदिर को साल के 6 महीने के लिए बंद करने का कारण होता था कि उत्तराखंड के इस क्षेत्र में गर्मियों में ज्यादा बर्फ गिरने से रास्ते बंद हो जाते हैं और भव्य बद्रीनाथ मंदिर तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। इसलिए मंदिर को बर्फ गिरने की अधिक संभावना वाले माह में बंद कर दिया जाता था।
इसके अलावा बद्रीनाथ मंदिर के बंद होने का एक और कारण था। मंदिर में स्थित श्री बद्री विशाल महाकुंभ यात्रा के समय हर 12 वर्षों में धार्मिक उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान मंदिर को बंद कर दिया जाता है ताकि आराधकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस तरह से, महीनों के बंद होने का तथ्य आजकल बदल गया है और मंदिर साल भर खुला रहता है। यह बहुत ही शुभ है क्योंकि बद्रीनाथ मंदिर को दर्शन करना एक अनुभव है जो धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ही होता है। इस मंदिर के पीछे के रहस्यों के बावजूद, यह एक स्थान है जो लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है और उनके लिए अपने धार्मिक और आध्यात्मिक उत्सुकता का एक मार्ग प्रदान करता है।
बद्रीनाथ की विशेषता क्या है?
बद्रीनाथ की विशेषताएं कई हैं जो इसे एक अनोखा स्थान बनाती हैं।
- ऐतिहासिक महत्त्व: बद्रीनाथ धाम को संसार के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है जिसे वेदों में भी उल्लेख किया गया है। इसके अतिरिक्त, महाभारत काल में भी इसके बारे में बताया गया है।
- नैतिक महत्त्व: बद्रीनाथ धाम भारतीय धर्म के चार धामों में से एक है और हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यहां जाकर दर्शन करने से मनुष्य को शुद्ध बनने का अनुभव मिलता है।
- प्राकृतिक सौंदर्य: बद्रीनाथ धाम हिमालय की गोद में स्थित है। यहां का वातावरण शानदार है और यहां की प्राकृतिक सौंदर्य अतुलनीय है। यहां घूमने वालों को एक अनुभव मिलता है जो वे दूसरी कहीं नहीं पा सकते हैं।
- सांस्कृतिक महत्त्व: बद्रीनाथ धाम भारत की संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न अंग है। यहां आने वाले श्रद्धालु भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी आस्थाबद्रीनाथ की एक विशेषता यह है कि यह चार धामों में सबसे उत्तरी स्थित है। इसके अलावा, यह गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के मध्य बसा हुआ है, जो चार धामों के श्रद्धालुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा, बद्रीनाथ मंदिर की विशेषता यह है कि यह श्री विष्णु के आठवें अवतार, बद्री के रूप में पूजित होते हुए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां पर अनेक पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं जो इसकी विशेषता को और बढ़ाती हैं।
बद्रीनाथ की एक अन्य विशेषता यह है कि यह उत्तराखंड के चार धामों में सबसे विस्तृत मंदिर है। इसमें अनेक शिल्पकारों की कला समेत अनेक संस्कृति संबंधी चीजें देखने को मिलती हैं। इसके अलावा, बद्रीनाथ धाम के आस-पास अनेक प्राकृतिक सुंदरता स्थल हैं जो इस जगह को और आकर्षक बनाते हैं।
इसके अलावा, बद्रीनाथ मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित देवदार का वृक्ष भी इस मंदिर की विशेषता को बढ़ाता है। यह वृक्ष मंदिर के निर्माण के समय से ही यहां मौजूद है और अनेक शास्त्रों में इसके महत्व का वर्णन किया गया है। इस देवदार के वृक्ष की ऊंचाई करीब 25 मीटर है और इसकी उम्र 1500 से 2000 साल से भी अधिक हो सकती है।
इस प्रकार बद्रीनाथ मंदिर की विशेषताएं इसे एक अनोखी जगह बनाती हैं जो दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
बद्रीनाथ में क्या क्या चढ़ाया जाता है?
बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा अनेक प्रकार के चीजों से की जाती है। कुछ प्रमुख चीजें निम्नलिखित हैं:
- बद्री कामल: यह फूल भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता है और इसे मंदिर में भी उपलब्ध कराया जाता है।
- तुलसी पत्र: भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते भी चढ़ाए जाते हैं।
- धूप: धूप के धुएं से मंदिर में एक धुंआकार वातावरण बनाया जाता है जो देवताओं का स्वागत करता है।
- दीप: दीप जलाना भी पूजा का एक हिस्सा होता है जो प्रकाश का प्रतीक होता है और मंदिर को रोशनी देता है।
- पुष्प: फूल भी भगवान की पूजा में चढ़ाए जाते हैं।
इसके अलावा भगवान विष्णु को मिठाई और फल भी अर्पित किए जाते हैं।
- बिल्वपत्र: यह पत्र भी भगवान विष्णु की पूजा में चढ़ाया जाता है।
- दूर्वा: दूर्वा भी पूजा का अहम हिस्सा होता है जो पुरानी धार्मिक परंपराओं में से एक है।
- ब्रह्मकमल: यह फूल मंदिर में भगवान की पूजा के लिए चढ़ाया जाता है।
- शंख: भगवान की पूजा में शंख भी चढ़ाया जाता है जो धर्म के प्रतीक होता है।
- गंगाजल: गंगाजल भी पूजा का अहम हिस्सा होता है जो शुद्धता के प्रतीक होता है।
इन सभी चीजों के अलावा, विभिन्न प्रकार के दान भी किए जाते हैं जैसे अन्नदान, वस्त्रदान, जलदान आदि।

बद्रीनाथ की चढ़ाई कितने किलोमीटर है?
बद्रीनाथ मंदिर की चढ़ाई कुल 3.3 किलोमीटर (2.05 मील) है। यहाँ तक कि इस रास्ते में कुछ स्थानों पर विशाल ढलानें होती हैं जिन्हें आमतौर पर ट्रेक कहा जाता है। इस चढ़ाई को पैदल या पोणी या पालकी से किया जा सकता है।
चढ़ाई की शुरुआत मंदिर के द्वार से होती है, जो बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है। चढ़ाई के दौरान यात्री मंदिर के बाहरी भाग में बने पैथ डालों पर चलते हुए श्रद्धालु मंदिर की ओर अग्रसर होते हैं। इस रास्ते में कुछ स्थानों पर आधी चढ़ाई के लिए उपयोगी साधनों जैसे रैलिंग, लेडर और सीढ़ियां लगाई गई हैं।
चढ़ाई के दौरान श्रद्धालु संत मिलते हैं जो भक्ति और आध्यात्मिकता से भरे होते हैं और दूसरे श्रद्धालुओं के साथ मंदिर जाते हुए मंत्र जपते हुए ध्यान में लगे रहते हैं। जब श्रद्धालु मंदिर तक पहुंचते हैं, तो वे मंदिर के अंदर अपने श्रद्धालुता व विश्वास को साकार करने के लिए अंतिम दर्शन करते हैं।
चढ़ाई के दौरान रास्ते में कुछ स्थानों पर आराम के लिए धर्मशालाएं भी होती हैं जहां श्रद्धालु रुक सकते हैं। इन धर्मशालाओं में आमतौर पर खाने-पीने की सुविधा भी उपलब्ध होती है।
दोस्तों उम्मीद करती हु आप सभी बद्रीनाथ धाम का रहस्य और बद्रीनाथ की विशेषता क्या है? लेख अच्छी लगे हो। मै आप सभी दोस्तों के लिए ऐसी कहानिया लाती रहती हु। अगर हमारी यह बद्रीनाथ धाम का रहस्य की कहानिया अच्छी लगी हो तो अपने परिवार और दोस्तों में शेयर जरूर करे धन्यवाद।
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