हर हर महादेव दोस्तों आप सभी का मेरे इस लेख में स्वागत है आज हम बात करने जा रहे है शिव जी को बहुत पसंद है जी हं हम इस लेख में जानेगे की Bel Patra Ki Utpatti कैसे हुई है | हिंदू धर्म ग्रंथों में यह मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान विष्णुको तुलसी पत्र प्रिय है वैसे ही भगवान शिव को बेलपत्र बहुत पसंद है। इसलिए शिव पूजा में बेल पत्र को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो कोई भी शिव जी की पूजा बेलपत्र से करते हैं उसकी मनोकामना भगवान जल्द ही पूरा करते हैं।
मान्यता है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत के समय से बेल का पेड़ धरा पर मौजूद है। सिर्फ धार्मिक ही नहीं, यह सेहत के लिए भी यह बेहद अहम पेड़ है। इसके फल में तमाम विटामिन और खनिज पाए जाते हैं, जो शरीर को कई रोगों से छुटकारा दिला सकते हैं। यह पेड़ इतना सख्तजान है कि ऐसी परिस्थिति में भी आराम से उग सकता है, जहां अन्य फलों वाले पेड़ नहीं उग पाते। आओ रोपें अच्छे पौधे सीरीज के तहत आज जानिए बेल के पेड़ के बारे में। Bel Patra Ki Utpatti
भगवान शिव को बेलपत्र क्यों पसंद है?
यह भी माना जाता है कि बेलपत्र के तीन जुड़े हुए पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव को शांति मिलती है और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. अपने त्रिकोणीय आकार के साथ बेल पत्र भगवान शिव की तीन आंखों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके अतिरिक्त यह भगवान के अस्त्र त्रिशूल का प्रतिनिधित्व करता है. बेल पत्र ठंडक प्रदान करते हैं. Bel Patra Ki Utpatti
Bel Patra Ki Utpatti : बेलपत्र के पेड़ की उत्पत्ति कैसे हुई?
Bel Patra Ki Utpatti बेलपत्र के वृक्ष की उत्पत्ति को लेकर भी कई तरह की कथाएं और मान्यताएं हैं। स्कंद पुराण के अनुसार- एक बार मां पार्वती ने अपनी अंगुलियों से ललाट पर आया पसीना पोंछकर फेंक दिया था।मां के पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं।कहते हैं उसी से बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ।
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। चुंकि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ। अत: इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं। वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं।
फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है। इस सभी रूपों के अलावा, मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है। बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं। जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है अगर वह श्रावण मास में बिल्व के पेड़ के मूल भाग की पूजा करके उसमें जल अर्पित करे तो उसे सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिलता है। Bel Patra Ki Utpatti
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बेल वृक्ष का महत्व-
कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाएं।
- बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते।
- अगर किसी की शवयात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है।
- वायुमंडल में व्याप्त अशुद्धियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है।
- 4, 5, 6 या 7 पत्तों वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है।
- बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।
- सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है।
- बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते हैं।
- बेल वृक्ष और सफेद आक को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
- बेलपत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे।
बेल के पत्ते ख़राब नहीं होने चाहिए
ऐसा माना जाता है कि बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव का मस्तक ठंडा रहता है। हालाँकि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि इसके लिए तीन पत्तों का उपयोग किया जाना चाहिए और वे ख़राब नहीं होने चाहिए। Bel Patra Ki Utpatti
निष्कर्ष
Bel Patra Ki Utpatti बेल पत्ती की उत्पत्ति की कहानी एक रोमांचक और रहस्यमय कहानी है, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है। इसका महत्व और प्रभाव आज भी हमारे समाज में महसूस किया जाता है,हर शिव भक्त को Bel Patra Ki Utpatti के बारे में पता होना चाहिए दोस्तों इस लेख की जरिये कुछ आप को बताने की कोशिश किये है | हिंदू धर्म में इस पेड़ का बहुत महत्व है आप भी बेल पेड़ की पूजा कर मां पार्वती के कृपा का पात्र बन सकते हैं। हमें उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया होगा।
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