HANUMAN JI KI KAHANI IN HINDI ( श्री हनुमान जी की कई कहानियां )

By Shweta Soni

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जय श्री राम,

मेरा नाम श्वेता है और में हमारे वेबसाइट के मदत से आप के लिए एक नयी हनुमान जी की कहानी लेके आई हु और ऐसी अच्छी अच्छी कहानिया लेके आते रहती हु। वैसे आज मै हनुमान जी की कहानी लेके आई हु कहानी को पढ़े आप सब को बहुत आनंद आएगा |

श्री हनुमान जी की कई कहानियां हैं जो हमारे जीवन में आनंद और सफलता का संदेश देती हैं। नीचे पांच प्रसिद्ध कहानियों का वर्णन किया गया है:

1- हनुमान जी और सूर्य का आगमन: एक बार जब हनुमान जी बचपन में थे, तो उन्हें अभी सूर्य के बारे में कुछ नहीं पता था। एक दिन वे भागवत कथा सुनने के लिए गए, जहां उन्हें सूर्य के बारे में बताया गया। तब से हनुमान जी सूर्य को अपने आदर्श बनाया और उन्हें हमेशा नमस्कार करते रहते हैं।

2- हनुमान जी और संकट मोचन: राम भक्त हनुमान जी को संकट मोचन के रूप में भी जाना जाता है। एक बार जब उन्हें देवी सिता का संदेश मिला कि वह रावण के बंदी बनी हुई हैं, तो हनुमान जी लंका गए और रावण के वध के बाद सिता जी को छुड़ाया। इस तरह हनुमान जी सभी भक्तों की मुश्किलों को दूर करते हैं।

3- हनुमान जी की बजरंग बलि: राम भक्त हनुमान जी की सबसे लोकप्रिय कहानी में से एक है उनकी बजरंग बलि की एक बार जब राम और लक्ष्मण राक्षस ताड़का का वध करने लगे तो राक्षसों का सेना उन पर हमला करने लगी। इस समय हनुमान जी ने अपनी बजरंग बलि का उपयोग करके सभी राक्षसों को पराजित कर दिखाया।

4- हनुमान जी और संजीवनी बूटी: एक बार लक्ष्मण जी को लगी एक घाव जो बहुत गंभीर था। तब हनुमान जी ने लंका जाकर संजीवनी बूटी लाने का काम किया और उससे लक्ष्मण जी को ठीक किया। इस से पता चलता है कि हनुमान जी किसी भी मुश्किल के सामने हमेशा सकुशल रहते हैं।

5- हनुमान जी और संकट के परिहार: एक बार एक व्यक्ति ने हनुमान जी से अपनी समस्या का समाधान मांगा। हनुमान जी ने उन्हें अपनी मदद की और उन्हें संकट से मुक्त करवाया। इससे पता चलता है कि हनुमान जी सभी लोगों की समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हैं।

ये हनुमान जी की कुछ प्रसिद्ध कहानियां थीं। इन कहानियों से हम सीखते हैं कि जीवन में कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और सबके संगठन और समदद से हर कठिनाई को आसानी से पार किया जा सकता है। हमें हनुमान जी की कहानियों से यह भी सीख मिलती है कि एक सच्चे भक्त का भगवान से संबंध किसी भी मौजूदा समस्या से उसकी मदद करने के लिए तत्पर हो जाता है।

हनुमान जी भक्ति, सेवा और विश्वास का प्रतीक होते हैं। उनकी कहानियों से हमें यह संदेश मिलता है कि जीवन में दुःख, दर्द और मुश्किलों से लड़ने की बजाय हमें समस्याओं का सामना करते हुए मजबूत होना चाहिए।

उम्मीद है कि ये कहानियां आपको हनुमान जी के जीवन से जुड़े बातों को समझने में मददगार साबित हुई होंगी।अब मैं आपको हनुमान जी की और कुछ कहानियों से रूबरू करवाता हूं।

HANUMAN JI KI KAHANI IN HINDI ( श्री हनुमान जी की कई कहानियां )
HANUMAN JI KI KAHANI IN HINDI ( श्री हनुमान जी की कई कहानियां )

हनुमान जी और सूर्य का आगमन की कहानी

एक दिन समस्त पृथ्वी धुंधली हो गई थी। सूर्य नहीं नजर आ रहा था और जीवन धीमा हो रहा था। लोग सभी तरह की प्रार्थनाएं कर रहे थे, ताकि सूर्य फिर से उनके जीवन में रोशनी लाएं।

उस समय, हनुमान जी ने देखा कि धरती पर इतना अंधकार क्यों है। वह सोचने लगा कि उन्हें कुछ करना चाहिए ताकि समस्त जीवों को रोशनी मिले। इसलिए, वह सोलह सोमवार की व्रत करने वाले थे इसलिए वह सोलह सोमवार के व्रत को पूरा करते हुए सूर्य भगवान की प्रार्थना करने के लिए निकले।

हनुमान जी ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए सूर्य भगवान को अपनी प्रार्थना की ओर ले जाने का निर्णय किया। वे सूर्य भगवान के पास पहुंचे और उनसे मिलने की इच्छा व्यक्त की।

सूर्य भगवान ने हनुमान जी का स्वागत किया और उन्हें अपने साथ बैठने को कहा। फिर सूर्य ने हनुमान जी से पूछा कि उन्होंने क्यों उनसे मिलने का निर्णय किया है।

हनुमान जी ने उत्तर दिया, “हे सूर्य भगवान! पृथ्वी पर सभी लोग अपनी रोशनी खो दिए हैं और जीवन धीमा हो रहा है। इसलिए मैंने आपको अपनी प्रार्थना की ओर ले जाने का निर्णय किया है।”

सूर्य भगवान ने हनुमान जी के वचनों को सुनते हुए कहा, “हे हनुमान! मैं सभी जीवों के जीवन में रोशनी लाने के लिए अपने कर्तव्य के रूप में प्रतिदिन आता हूं। लेकिन अभी मेरी शक्ति कमजोर हो गई है। मेरे प्रतिदिन आने से अब लोगों को रोशनी नहीं मिलती है।”

हनुमान जी ने उत्तर दिया, “हे सूर्य भगवान! मैं आपके साथ धनुष उठाकर आपको शक्ति दूंगा। आप फिर से उसी तरह चमकेंगे, जैसे आप शुरूआत में थे।”

सूर्य भगवान ने हनुमान जी की बात मानी और धनुष उठाकर उन्हें दिया। हनुमान जी ने धनुष को अपनी शक्ति से चढ़ाया और सूर्य भगवान को अपने साथ ले जाने के लिए उड़ गए।

वहां पर, सूर्य भगवान ने हनुमान जी को अपनी आभा से अभिव्यक्त वहां पर, सूर्य भगवान ने हनुमान जी को अपनी आभा से अभिव्यक्त किया, “हे हनुमान! मैं तुम्हें धन्यवाद देता हूं कि तुमने मुझे फिर से जीवन दिया है। अब से मैं फिर से प्रतिदिन आकर लोगों को रोशनी दूंगा।”

हनुमान जी ने सूर्य भगवान की प्रशंसा की और वहीं पर चढ़ाई हुई धनुष को गिरा दिया। धनुष का गिरते ही सूर्य भगवान फिर से आकाश में चमकने लगे।

इस घटना के बाद से हनुमान जी को सूर्य पुत्र भी कहा जाने लगा था। यह घटना भगवान हनुमान की शक्तिशाली कहानियों में से एक है जो उनकी शक्ति और उनकी भक्ति का प्रतीक है।

इस कहानी के माध्यम से हमें यह समझ मिलता है कि भक्ति और शक्ति से कुछ भी संभव हो सकता है। भक्त हनुमान जी ने अपनी शक्ति का उपयोग करके अपने गुरु को बचाया और सूर्य भगवान को भी उन्होंने फिर से जीवन दिया।

इस कहानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि जीत हमेशा सत्य की होती है। हनुमान जी ने सत्य और धर्म के पथ पर चलते हुए अपनी शक्तियों का उपयोग करके अपने गुरु को बचाया और अपनी सभी मुश्किलों को परास्त कर दिखाया।

यह कहानी हमें एक अन्य महत्वपूर्ण सन्देश देती है कि विश्वास और समर्पण के साथ हम किसी भी काम में सफल हो सकते हैं। हनुमान जी ने सभी मुश्किलों के बावजूद अपने शक्तियों का उपयोग करके अपने गुरु को बचाया और सूर्य भगवान को भी उन्होंने फिर से जीवन दिया।

इसी तरह हम भी जीवन में चुनौतियों का सामना करते हुए विश्वास और समर्पण के साथ अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहें तो हम सफलता पा सकते हैं।

हनुमान जी और संकट मोचन की कहानी

एक ऐसी कहानी है जो हमें यह सिखाती है कि भगवान श्री राम के भक्त जब भी मुश्किल में होते हैं तब उन्हें हनुमान जी की मदद मिलती है।

एक बार एक व्यापारी था जिसकी दुकान में उसने एक अच्छी रकम लगाई थी। लेकिन उसके व्यापार में कुछ समस्याएं उत्पन्न हो गईं थीं जिसके कारण उसका व्यापार लुप्त होने लगा। उसने समस्या का समाधान ढूंढने के लिए बहुत सारे स्थानों पर जाकर ढूंढा, लेकिन कुछ नहीं मिला। उसने अपनी समस्या को श्री राम के चरणों में रखा और उनसे अपनी समस्या का समाधान मांगा।

श्री राम ने उसे बताया कि हनुमान जी सभी संकटों से मुक्ति देने वाले देवता हैं। उसने व्यापारी को हनुमान जी के दर्शन करने की सलाह दी।

व्यापारी ने श्री राम की सलाह मानते हुए हनुमान जी के दर्शन करने के लिए हनुमान मंदिर जाकर उनके चरणों में अपनी समस्या का समाधान मांगा। हनुमान जी ने उसकी याचना सुनते हुए उसे आशीर्ववादा किया कि उसकी समस्या का समाधान होगा।

कुछ दिनों बाद, उसका व्यापार फिर से फल देने लगा। वह समझ गया कि हनुमान जी ने उसकी मदद की है। वह हर साल हनुमान जयंती पर हनुमान जी की पूजा करने लगा और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा हनुमान जी की मदद मांगता रहा।

यह कहानी हमें यह बताती है कि हनुमान जी सभी संकटों से मुक्ति देने वाले होते हैं और जब हम उनकी मदद के लिए विश्वास करते हैं तो हमें सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।

हनुमान जी की बजरंग बलि की कहानी

हनुमान जी की बजरंग बली कहानी हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक कथाओं में से एक है। यह कहानी भगवान हनुमान जी के बलिदान की एक गूढ़ बात बताती है। इस कहानी में बताया गया है कि कैसे हनुमान जी ने अपनी बजरंग बली का उपयोग करके राम और लक्ष्मण की मदद करते हुए रावण के सम्राट महल को नष्ट कर दिया।

कहानी के अनुसार, जब राम और लक्ष्मण सीता को ढूंढने के लिए लंका गए थे तो वहां उन्हें उस समय रावण की शक्ति से लदा हुआ महल दिखाई दिया था। उन्होंने उस महल के अंदर जाकर सीता माता को खोजने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला।

इस समय हनुमान जी ने अपनी मदद का हाथ बढ़ाया और उन्हें समझाया कि वह उनकी मदद कर सकते हैं। हनुमान जी ने राम और लक्ष्मण को बताया कि यह महल रावण की अस्थिर शक्ति से बना हुआ है, इसलिए यह जल्दी नष्ट हो जाएगा। फिर हनुमान जी ने अपनी बजरंग बली का उपयोग करके महल को उड़ा दिया बजरंग बली के उपयोग से महल नष्ट होने के बाद, हनुमान जी ने राम और लक्ष्मण को वहां से निकालने की मदद की। फिर वे सीता माता के पास लौट आए।

राम और लक्ष्मण ने हनुमान जी को अपनी मदद के लिए धन्यवाद दिया। वे उन्हें अपने हृदय में सदा स्मरण करेंगे। हनुमान जी का बलिदान और बजरंग बली का उपयोग राम और लक्ष्मण की मदद में आया था।

यह कहानी भगवान हनुमान जी के पराक्रम को दर्शाती है और उनकी अपनी वीरता और बलिदान को दर्शाती है। इसके साथ ही, यह एक उदाहरण है कि कैसे एक सामान्य व्यक्ति भी अपनी ताकत और उत्साह के साथ अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है।

इस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि भगवान हनुमान जी जैसे उत्साही और निष्ठावान व्यक्तित्व हमें उन्नति की ओर ले जाने में मदद कर सकते हैं। वे अपने अदम्य बल और शक्ति के साथ संकट को दूर करने में सक्षम होते हैं। यह कहानी भगवान हनुमान जी की भक्ति को स्थायी बनाने के साथ-साथ उनके उपासकों को उनके साथ अनुभव करने का मौका देती है।

इस कहानी को सुनने और पढ़ने से हमें यह भी सीख मिलती है कि अगर हम संकट में होते हैं तो हमें अपने आसपास की चीजों का उपयोग करना चाहिए। हमें बजरंग बली जैसी शक्तिशाली चीजों का उपयोग करना चाहिए, जो हमें न सिर्फ संकट से मुक्त कराते हैं बल्कि हमें आगे बढ़ने में मदद भी करते हैं।

हनुमान जी और संजीवनी बूटी की कहानी

एक बार रामायण काल में लक्ष्मण रावण के विवश हो गए थे। उन्हें एक तीव्र असुरी शक्ति ने मार डाला था। इससे राम बहुत दुखी थे और उन्हें लक्ष्मण को ज़िंदा करने के लिए कोई उपाय नहीं नज़र आ रहा था।

तभी हनुमान ने सोचा कि उन्हें संजीवनी बूटी का पता लगाना होगा। संजीवनी बूटी मृतकों को फिर से ज़िंदा करने की शक्ति रखती है। वह जानता था कि यह बूटी एक आश्चर्यजनक प्रभाव रखती है। हनुमान ने तुरंत कार्रवाई शुरू की।

हनुमान ने आसमान में उड़ान भरी और नज़दीकी पहाड़ी श्रृंखला की ओर दौड़ लगाई। उन्हें पता था कि संजीवनी बूटी उसी क्षेत्र में उगती है। धरती के ऊपर से यह बूटी आसानी से नहीं दिखती थी।

हनुमान ने कुछ देर खोज के बाद संजीवनी बूटी को खोज लिया। लेकिन उसे यह भी पता था कि यह देवलोक में होने वाली बूटी असुरों के दबाव के बीच हनुमान जी के उस समय का विवरण यहां उस प्रकरण को और रोमांचक बनाता है। हनुमान जी ने अगले दिन सूर्योदय से पहले ही पहाड़ के समीप एक स्थान ढूँढ़ लिया, जहां अस्पताल के लिए इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों का उत्सर्जन होता था। इस पर्वतीय क्षेत्र में कुछ जड़ी-बूटियों में विशेष शक्ति होती है, जो जीवित वस्तुओं को जीवित बनाने की क्षमता रखती है। हनुमान जी ने वहां उपस्थित सभी जड़ी-बूटियों को देखा और उन्हें ध्यान से देखा।

हनुमान जी ने बड़ी मेहनत से जड़ी-बूटियों को संग्रहित किया और अश्वत्थ वृक्ष के पास ले जाकर संजीवनी बूटी का उपयोग करते हुए सभी लक्षणों का पालन करने लगा। हनुमान जी ने सभी उपाय करने के बाद लक्ष्मण के पूर्व विवश होने का समाचार राम जी को दिया।

राम जी ने अगले दिन ही हनुमान जी से संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा। हनुमान जी ने संजीवनी बूटी को राम जी के हाथों में द हनुमान जी ने अशोक वन में सीता माता को खोजते हुए लंका में जाकर उन्हें ढूंढ निकाला था। लेकिन लंका से लौटते समय उन्हें लगा कि जब उन्होंने सीता माता को ले जाने के लिए अशोक वन में सूर्यास्त हो चुका था तब लंका के राजा रावण ने अपने पुत्र मेघनाद के द्वारा हनुमान जी को जलाने का प्रयास किया था। मेघनाद ने अपने ब्रह्मास्त्र से हनुमान जी को बांध लिया था। लेकिन हनुमान जी ने अपनी बलशाली पुष्टि के कारण वह बंधन तोड़ दिया।

हनुमान जी को लंका से लौटते समय, वे सभी श्रीराम भक्तों के लिए लंका से सूर्योदय के समय लौटने का आशीर्वाद देने के लिए संजीवनी बूटी लाए थे। यह एक अद्भुत घटना है, जो उनकी शक्तियों और भक्ति का परिणाम है।

संजीवनी बूटी हनुमान जी को लाने की कहानी भी बेहद रोमांचक है। इस कहानी के अनुसार, श्रीराम ने लंका युद्ध में जीत हासिल की थी। इस युद्ध में अकेले हनुमान जी ने लंका के द्वारा कजब हनुमान ने इस तरह विभीषण को संजीवनी बूटी से जीवित कर दिया तो सबने उन्हें भगवान का अवतार माना और उन्हें स्तुति दी।

हनुमान ने अपने शक्तिशाली बल और ज्ञान के द्वारा इस दुर्घटना का समाधान किया था। उन्होंने सभी को यह दिखाया कि जो भी मुश्किलें आती हैं, उन्हें वह समझ सकता है और समाधान कर सकता है। इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम अपनी शक्तियों का उपयोग सही तरीके से करते हैं तो हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं।

यह थी हनुमान जी और संजीवनी बूटी की कहानी। हमें यह समझना चाहिए कि इस कहानी का मूल उद्देश्य था हमें यह दिखाना कि जीवन में अक्सर अचानक मुश्किलें आती हैं, लेकिन हमें इनका सामना करना चाहिए और समाधान निकालना चाहिए। इसके लिए हमें अपनी शक्तियों पर विश्वास होना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि हम सभी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। हमें हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और सभी की मदद क

उन्होंने जल्दी से अपने भाईयों से कहा कि वे जल्द से जल्द संजीवनी बूटी लेकर लाएं। सब लोग तत्परता से उत्तर दिया और उन्होंने पहाड़ की ओर चल दिया। हनुमान जी ने संजीवनी बूटी को ढूंढने के लिए पूरे पहाड़ को खोजा लेकिन वह नहीं मिली।

उन्होंने उस समय सोचा कि उन्हें किस तरह से संजीवनी बूटी मिलेगी? उन्होंने अपनी माता सीता जी का स्मरण किया जो लंका में थीं और जिन्होंने उन्हें अग्नि परीक्षा दी थी। हनुमान जी ने सोचा कि उन्हें भी संजीवनी बूटी को अग्नि से परिक्षित करना चाहिए।

वे अपनी पूरी शक्ति से परिक्षा में लग गए और जल्दी ही उन्हें एक छोटी सी पौधी मिली जो संजीवनी बूटी थी। हनुमान जी ने उस पौधे को ले कर अपने भाईयों के पास लौट आए और सूर्यास्त होने से पहले ही वे संजीवनी बूटी से लक्ष्मण जी को जीवित कर दिए।

HANUMAN JI KI KAHANI IN HINDI ( श्री हनुमान जी की कई कहानियां )
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लक्ष्मण जी को जागृत करने के बाद हनुमान जी अपने पौधे को वापस लेने चले गए।

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